श्रीमद्भागवत का संचालन उत्तरप्रदेश के उज्जयानंद महराज के द्वारा 108 कन्याओं के द्वारा कलशयात्रा निकालकर 9 दिन तक श्रीमदभगवत पाठ किया गया एवं हवन के बाद श्रीमदभगवत गीता का समापन किया गया. समापन के अवसर पर वार्ड नं 13 के वार्ड सदस्य श्री सोनेलाल यादव ने कहा कि यह 9 दिवसीय श्रीमदभगवत गीता यज्ञ का आयोजन सभी ग्रामवासियों के सहयोग किया गया है, उन्होंने कहा कि सामाजिक बुराइयों व त्रुटियों पर चोट कर जीवन को निखारती है श्रीमद्भागवत गीता। सफल जीवन के लिए गीता का ज्ञान जरूरी है। संस्कृति और संस्कारों को बढ़ाने का काम गीता करती है। गीता के ज्ञान से ज्ञानेंद्रियां खुलती हैं और मानस का विकास होता है। आज के दौर में गीता परम आवश्यक है।
कथावाचक श्री उज्जयानंद महराज ने कहा कि गीता सार में भगवान श्रीकृष्ण ने यह बात कही है कि इंसान के लिए किसी भी तरह की अधिकता घातक साबित हो सकती है। जिस तरह संबंधों में कड़वाहट हो या फिर मधुरता, खुशी हो या गम, हमें कभी भी अति नहीं करनी चाहिए। जीवन में संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है। जब तक मनुष्य के जीवन में संतुलन नहीं रहेगा वह सुख से अपना जीवन व्यतीत नहीं कर सकेगा अर्थात मनुष्य को जरूरत से ज्यादा कोई भी चीज करने से बचना चाहिए और अपनी जिदगी में संतुलन बनाकर रखना चाहिए।
भाजयुमो के नगर अध्यक्ष सुधांशु यादव ने कहा कि पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भगवद गीता में हर समस्या का समाधान है। इसलिए प्रत्येक मानव को पवित्र ग्रंथ गीता को अपने जीवन में धारण करना चाहिए, जो व्यक्ति पवित्र ग्रंथ गीता को अपने आदर्शों को अपनाएगा वह निश्चित ही अपना मुकाम हासिल करेगा। गीता में जीवन की वास्तविकता और मनुष्य धर्म से जुड़े उपदेश दिए गए हैं। कई बार ऐसा होता है कि हमें अपनी समस्या का समाधान नहीं मिलता या फिर विपत्ति के समय हम बहुत परेशान हो जाते हैं। कई लोग तो गुस्से में अपना आपा खो बैठते हैं या फिर अपनी समस्याओं से विचलित होकर भाग खड़े होते हैं, ऐसे में गीता में लिखे गए उपदेश हमारी सारी समस्याओं का चुटिकयों में हल कर देते हैं,
वहीं समाजसेवी विवेक कुमार ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता हमें जीवन जीने की कला सिखाते हैं। समापन समारोह में मुखिया रेखा देवी, पूर्व सरपंच प्रमोद साह,पूर्व प्रधानाध्यापक रामबल्लव यादव, हलधर यादव, समाजसेवी विवेक यादव, सदानंद यादव, छोटेलाल यादव, माधव ठाकुर एवं हजारों ग्रामीण उपस्थित थे।
(ए. सं.)
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