कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष दिलीप कुमार सिंह ने कहा कि टाइम्स हायर एजुकेशन ऑफ लंदन संस्था के सर्वे में विश्व के कई नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने मानव अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा बेतहाशा बढ़ती हुई जनसंख्या और प्रदूषण बताया है. भारत के परिप्रेक्ष्य में तो यह खतरा और भी अधिक गंभीर हो जाता है, क्योंकि विश्व का केवल 2.4% भू-भाग हमारे पास है और विश्व की कुल लगभग 790 करोड़ जनसंख्या का 17.74% अर्थात 140 करोड़ से भी अधिक आबादी का भार हम भारत की भूमि पर वहन कर रहे हैं. विश्व के क्षेत्रफल का सापेक्ष भारत के क्षेत्रफल के आधार पर हमारी आबादी 20 करोड़ से अधिक नहीं होनी चाहिए.
कम क्षेत्रफल होने के बावजूद इतनी अधिक आबादी का ही परिणाम है कि उपलब्ध सीमित प्राकृतिक संसाधन बहुत तेजी से कम पड़ते जा रहे हैं. सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय स्थितियां दिन-प्रतिदिन विस्फोटक होती जा रही हैं तथा जनसंख्या विस्फोट एवं जनसांख्यिकीय असंतुलन से उत्पन्न संसाधन, सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय संकट के कारण 140 करोड़ से भी अधिक की आबादी वाला भारत पल-प्रतिपल गृहयुद्ध की ओर अग्रसर हो रहा है और वर्तमान परिदृश्य में यह दिख भी रहा है.
जनसंख्या विस्फोट एवं जनसांख्यिकीय असंतुलन से उत्पन्न संसाधन, सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय संकट के समाधान के लिए जनसंख्या समाधान फाउन्डेशन जनसंख्या नियंत्रण कानून की माँग को लेकर पिछले 8 वर्षों से अधिक समय से शांतिपूर्ण तरीके से लगातार जागरूकता रैली, सांसद-संवाद तथा सार्वजनिक सभाओं एवं पदयात्राओं के माध्यम से देशभर में अभियान चला रहा है. संगठन द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस सहित अनेक अवसरों पर जिलाधिकारियों के माध्यम से विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों एवं प्रधानमंत्री, भारत सरकार के नाम ज्ञापन भेजा जाता रहा है। जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या समाधान अधिनियम की मांग को लेकर देशभर में एक सकारात्मक वातावरण का निर्माण हुआ है.

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