मधेपुरा कॉलेज मधेपुरा में सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में काम करने वाली संस्था सृजन दर्पण के द्वारा आयोजित ग्रीष्मकालीन नृत्य और नाटक कार्यशाला में विभिन्न सरकारी, गैरसरकारी विद्यालयों के 40 बच्चों ने भाग लिया और नृत्य और नाटक का हुनर सीखा.
समापन के मौके पर प्राचार्य डॉ अशोक कुमार ने कहा कि मधेपुरा के बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. अगर कोई कमी है तो वह है पर्याप्त अवसर और सही दिशा-निर्देशन की. अगर सही मार्गदर्शन मिल जाए तो मधेपुरा के बच्चे बिहार ही नहीं पूरे देश में अपनी कला का लोहा मनवा सकते हैं.
इस दौरान प्रशिक्षक रंगकर्मी बिकास कुमार ने कहा कि योग्य और प्रतिभाशाली बच्चों को यदि सही संसाधन उपलब्ध कराया जाय तो ये बच्चे भी गीत, नृत्य, नाटक के क्षेत्र में आगे बढ़ने का हौसला रखते हैं. उन्होंने कहा कि नृत्य और नाटक एक ऐसी विधा है, जिसमें बच्चे खेल-खेल में अनुशासन, समय का प्रबंधन, टीम वर्क जैसी कोई ऐसी बातें आसानी से सीख जाते हैं, जो उनके जीवन में काफी उपयोगी साबित होती हैं. इस कार्यशाला का उद्देश है नई पीढ़ी को कला से जोड़ना और प्रतिभागी बच्चों को नृत्य एवं नाटक की तैयारी के लिए चेहरे के हाव-भाव के बारे में सीखना. उन्होंने जाना कि हमारा चेहरा कई तरह के भावों को प्रकट कर सकता है. अगर सही तरीके के भाव चेहरे पर लाए जाएं तो उसका दर्शकों पर बहुत असर होता है. अगर हंसना है तो हंसी का भाव और रोना है तो उदासी का भाव चेहरे पर लाना आवश्यक है. इसी तरह अलग-अलग भावों को समझते हुए उन्होंने इन भावों को प्रकट करने की भी कोशिश की.
इससे पहले बच्चों ने नाटकीय खेल तथा गतिविधियों में भाग लिया और अलग-अलग जानवरों का अभिनय करते हुए उनके हाव-भाव दिखाने की कोशिश की. संस्था अध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश ओम ने कहा कि हमारी संस्था कई वर्षों से बच्चों के बीच निःशुल्क प्रशिक्षण का आयोजन कर बच्चों को अपने लोक नृत्य, नाटक व लोक गाथा से जोड़ने का काम कर रही है. मौके पर कार्यशाला संयोजक राणा यादव और सौरभ कुमार मौजूद थे.
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