'शिक्षा शास्त्र विभाग में छात्रों को शेष फीस वापस करने की जगह भवन निर्माण की पहल, बची राशि के बंदरबांट की साजिश': राठौर
संगठन के बीएनएमयू प्रभारी हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि मुख्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग में स्थापना काल से बीएड एवम् एमएड में छात्रों से पूरा शुल्क लिया गया. जबकि नो प्रॉफिट नो लॉस वाले इस विभाग में अब तक एक भी शिक्षकेत्तर कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की गई. वहीं इस साल को छोड़ दें तो विगत वर्ष तक साठ प्रतिशत के आसपास शिक्षकों के पद भी खाली थे. दूसरी तरफ शिक्षा विभाग का साफ आदेश बीएड के सन्दर्भ में है कि जिस अनुपात में शिक्षक कर्मचारियों की संख्या है उसी अनुपात में छात्रों से फीस लेना है. ऐसे में शेष फीस छात्रों को लौटाने के बजाय भव्य बिल्डिंग बनाने की पहल कहीं न कहीं समस्त खर्च के बाद बचे राशि के बन्दर बांट की साजिश है.
छात्र नेता राठौर ने सवाल खड़ा करते हुए कहा कि अत्यावश्यक कर्मचारियों की नियुक्ति की पहल नहीं करके भवन निर्माण में इतनी दिलचस्पी क्यों दिखाई जा रही है. जबकि वर्तमान में भवन है पर कर्मचारी नहीं. एआईएसएफ, बीएनएमयू लगातार शेष फीस वापसी की मांग उठाता रहा है. विश्वविद्यालय अंतर्गत शिक्षा शास्त्र विभाग के शिक्षकों द्वारा लगातार समय पर वेतन और कोर्ट के अनुसार देने की मांग, दूसरी ओर फीस नहीं बढ़ाने का दबाव लगातार देखने को मिलता है. इतना के बाद भी विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा शास्त्र विभाग के अधिग्रहण की पहल नहीं हो रही. जबकि एआईएसएफ के आग्रह पर कुलपति महोदय के समक्ष ही पटना विश्वविद्यालय में इसकी शुरुआत करवाने में अहम भूमिका निभाने वाले इसी क्षेत्र की उपज डॉ बलराम तिवारी, अधिग्रहण प्रक्रिया में हर सम्भव सहयोग की बात कह चुके हैं. अधिग्रहण होने के बाद जहां छात्रों को नाम मात्र फीस देना होगा वहीं छात्रा व एससी, एसटी के छात्रों को निःशुल्क बीएड, एमएड का सुअवसर मिलेगा. साथ ही शिक्षक, कर्मचारी के वेतन सरकार द्वारा सम्मानजनक रूपेण देय होगा. सीनेट, सिंडिकेट के निर्णय के उपरांत भी शोध कर रहे छात्रों लिए स्कालरशिप शुरू करवाने की पहल अब तक नहीं हो सकी है.
उक्त पत्र में राठौर ने कुलपति से आग्रह किया है कि कि उक्त बिंदुओं पर व्यक्तिगत दिलचस्पी लेते हुए भवन निर्माण आंतरिक कोष से करवाने, छात्रों के बचे शेष राशि वापस करवाने, शिक्षा शास्त्र के अधिग्रहण व सीनेट, सिंडिकेट के निर्णय के आलोक में शोध कर रहे निर्धन व मेधावी छात्र हेतु स्कालरशिप शुरू करवाने की व्यवस्था करवाएं. जिससे पारदर्शिता और न्याय का पलड़ा बराबर रहे. राठौर ने यह भी साफ किया कि अगर छात्रों की फीस वापसी की पहल की जगह करोड़ों की उस राशि की बंदरबांट की साजिश हुई तो एआईएसएफ आंदोलन का रुख हर हाल में करेगा.
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