सिंहेश्वर महोत्सव के दूसरे दिन स्थानीय कलाकारों ने बांधा समा

देवाधिदेव महादेव की पावन नगरी स्थित मवेशी हाट के मैदान में महोत्सव के दूसरे दिन कलाकारों ने दर्शकों को बांधने में कोइ कसर नहीं छोड़ी. एक बार फिर सिंहेश्वर एवं जिले वासियों ने इतिहास बनते देखा. एक साथ हिंदी, मैथिली नृत्य की महफिल सजी थी. कार्यक्रम में सबसे पहले स्थानीय कलाकारों ने अपना जलवा बिखेरा. जिसमें सबसे पहले संजीव कुमार ने शास्त्रीय गायन गा कर लोगों का खूब मन मोहा और फिर अरविंद कुमार ने स्वतंत्र तबला वादन किया. सुगम संगीत को संजीव कुमार ने गाया. शिवाली ने अपनी प्रतिभा को दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कृति सिंह ने भी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.


 इसके बाद रेखा कुमारी ने सुगम संगीत में शिव और गौरी माता की गायन छोटी मोटी टूटले मरैया हे गौरी दाय गाया. इस प्रस्तुती ने सभी को अपने ओर खींच लिया. और फिर प्रांगण रंगमंच के द्वारा शिव आराधना में शिव की अघोरी नृत्य होली खेले मशाने गीत पर मशान का दृश्य दिखाया और फिर ग्रीन फील्ड इंटरनेशनल स्कूल के बच्चों ने छठ पर्व पर आधारित गीत पर लोक नृत्य का ऐसा नाटिका ऐसा दिखाया कि लोगों को एक समय के लिए सब कुछ थम सा गया. लोगों के मन में गांव में आयोजित छठ पर्व याद आ गयी. इसके बाद किड्स वर्ल्ड के छोटे-छोटे बच्चे ने लोक गायन की कजरी विधा पर आधारित नृत्य नाटिका दिखाया ये प्रस्तुति भी काफी मनमोहन थी. 

अमित अंशु के निर्देशन में नवाचार रंग मंडल के द्वारा बम बम डोले मस्ती में डोले व हम लोगों को समझ सको तो समझ लो दिलबर जानी पर काफी मनमोहक डांस किया गया. इस पर बच्चों ने खूब तालियां बटोरी. और फिर नीरज कुमार के निर्देशन में बिहार की गाथा और होली गीत पर नृत्य दिखाया. इसके बाद होली गीत पर लगातार कुछ देर तक चलता रहा. वहीं बाहर से आए कलाकारों की सभी प्रस्तुतियां मंत्रमुग्ध करने वाली रहीं. सबसे पहले पटना से आए कलाकारों ने शिव झांकी प्रस्तुत किया. कलाकारों ने शिव-पार्वती को जीवंत कर दिया. वहीं बिहार की लोक संस्कृति से भी अवगत कराया. पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले का प्राचीन लोक नृत्य नटुआ पेश किया. कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से अपने लोक संस्कृति से दर्शकों को अवगत कराया. इसके बाद कोलकाता से आए कलाकारों के समूह पंचनाद ने पेश किया. कलाकारों ने अपने शिव तांडव से मंत्र मुग्ध कर दिया.

कार्यक्रम के अंत में पंडित राजेन्द्र प्रसन्ना ने जब बांसुरी वादन आरंभ किया तो समय जैसे ठहर गया. बनारस घराने से ताल्लुक रखने वाले पंडित राजेन्द्र प्रसन्ना अंतरराष्ट्रीय प्रकार से नवाजे जा चुके हैं. पंडित जी को शहनाई वादन में भी प्रसिद्धि प्राप्त है. पूरा महोत्सव स्थल दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था.

कार्यक्रम में उद्घोषक शशिप्रभा जायसवाल और पृथ्वीराज यदुवंशी ने मंच संचालन के कौशल से मन मोह लिया.

सिंहेश्वर महोत्सव के दूसरे दिन स्थानीय कलाकारों ने बांधा समा सिंहेश्वर महोत्सव के दूसरे दिन स्थानीय कलाकारों ने बांधा समा Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 13, 2022 Rating: 5

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