मधेपुरा जिले के घैलाढ़ प्रखंड मुख्यालय के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दशा दिनोंदिन खराब होती जा रही है. लाखों की आबादी वाले इस क्षेत्र के एकमात्र पीएचसी की एंबुलेंस सेवा विगत 3 माह से बंद है. इसे बनाने के लिये न तो विभाग से कोई पहल शुरू हुई है और ना ही अतिरिक्त एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है. स्थिति इस कदर गंभीर हो गई है कि मरीजों को निजी वाहनों के सहारे ले जाया जा रहा है. इससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है.
ऐसा नहीं है कि इस प्रकार की समस्या पहली बार सामने आई हो. पूर्व में भी इस तरह की समस्या उत्पन्न होती रही है. जबकि सरकार द्वारा जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसूताओं को लाने और ले जाने की व्यवस्था प्रभावित हो रही है. उचित मॉनीटरिंग के अभाव में प्रसूताओं को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. 3 माह से एम्बुलेंस के खराब होने से दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाली प्रसूता महिलाओं को पीएचसी स्थित प्रसूति केन्द्र तक आने और प्रसव के बाद वापस घर जाने के लिए निजी वाहनों की शरण लेनी पड़ रही है. इससे महिलाओं के परिजनों को मोटी रकम भी खर्च करनी पड़ रही है. अस्पताल आने वाले मरीजों का कहना है कि इसके बावजूद अस्पताल प्रशासन इस बारे में कोई स्थायी समाधान नहीं कर रहा है. क्षेत्र के कई आशा ने बताया कि दूर-दराज से आने वाली गर्भवती महिला को पीएचसी लाने एवं घर ले जाने में काफी परेशानी होती है. प्राइवेट गाड़ी वाले मनमाना किराया लेते हैं. इलाके के लोग तो इस समस्या की शिकायत अधिकारियों से कर ही रहे हैं वहीं स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत कर्मी भी इस बावत अपने विभाग को सूचित कर चुके हैं लेकिन विभाग की ओर से कोई पहल नहीं किए जाने से परेशानी बनी हुई है.
वहीं पीएचसी प्रभारी डॉ ललन कुमार ने बताया कि जब से एंबुलेंस सेवा एनजीओ के माध्यम से संचालित हो रही है तब से ऐसी समस्या सामने आ रही है. जबकि जिले में होने वाले चिकित्सकों की बैठक में सम्बन्धित विभाग को इस मामले से अवगत भी करा दिया है लेकिन अभी तक विभाग ने इस मामले पर ध्यान नहीं दिया. उनके तरफ से बस आश्वासन ही मिल रहा है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं और दुर्घटना के शिकार हुए मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
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