एनडीआरएफ बटालियन के डेप्युटी कमांडेंट आलोक कुमार, सब इंस्पेक्टर राजन कुमार ने बताया कि केन्द्र सरकार ने सेना में शहीद परिवार का हालचाल जानने के लिए कि उनका परिवार का कैसा और किस हाल में जीवन यापन हो रहा है, इसी उद्देश्य को लेकर भेजा गया है. साथ ही कैजुअलटी प्रमाण पत्र मुहैया कराया गया है.
कमांडेंट श्री कुमार ने बताया कि शहीद सहायक कमांडेंट प्रमोद 09 मई 2001 में श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर के मागम में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे. भारत सरकार द्वारा सपूतों को सम्मानित करने के लिए यह प्रमाणपत्र है.
इस मौके पर वार्ड पार्षद डा. अभिलाषा कुमारी, प्रो. अरविंद कुमार, डा. ललन कुमार ललन, मंजू देवी, अमित कुमार, सुभाष चन्द्र आदि उपस्थित थे. उपस्थित लोगों ने केन्द्र सरकार के इस कदम की सराहना की और कहा कि सेना का सम्मान सर्वोच्च सम्मान है.
मालूम हो कि 09 मई 2001 को लगभग 18:15 बजे सहायक कमांडेंट 194 बटालियन बिखेर को सूचना के आधार पर प्रमोद कुमार ने अपने स्काउट पार्टी के साथ 'ए' श्रेणी के कुख्यात आतंकवादी मुस्तफा खान गिरोह के खात्मे के लिए निकले मागल के एक शोपिंग कॉम्प्लेक्स पहुंचे तो आइसक्रीम ट्राली के पास खड़े दो आतंकवादी सीमा सुरक्षा कैम्प की ओर भागने लगे, इसी बीच प्रमोद ने पोजिशन लेते हुए अपने जवान के साथ फायर शुरू किया, जिसमें एक आतंकवादी को मार गिराया. इसी दौरान आतंकवादी ने एक विस्फोट किया. विस्फोट में प्रमोद घायल हो गये. इसके वावजूद उन्होने हिम्मत नहीं हारी और अपने सैनिकों को आतंकवादी से मुकाबला करने का आदेश देते रहे. आखिरकार कमांडेंट प्रमोद वीरगति को प्राप्त हो गये. प्रमोद ने भारत की अखण्डता को बनाये रखने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया.
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