प्राइवेट नर्सिंग होम की आड़ में चल रहा था नवजात शिशु के खरीद-फरोख्त का गोरखधंधा: नर्सिंग होम सील, संचालक गिरफ्तार
सील करने से पहले दर्जनों मरीज को सामुदायिक स्वाथ्य केंद्र में और कुछ को हायर सेंटर भेजा. छापेमारी के दौरान फर्जी नर्सिंग होम पर लोगों की भीड़ जमा हो गई और अन्य नर्सिंग होम जो अवैध तरीके से संचालित हो रहे हैं उनमें हड़कंप मच गया. करीब पांच घंटे तक चली छापेमारी में पूछताछ के दौरान चिकित्सक कोई प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं करा सका.
बिना रजिस्ट्रेशन के ही चल रहा था फर्जी क्लिनिक. इसी के अंदर बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे थे पैथोलॉजी व अल्ट्रासाउंड सेंटर भी. मरीजों को जांच के नाम पर हॉस्पिटल कर्मी द्वारा किया जाता था शोषण.
बताया जाता है कि खून, पेशाब व अल्ट्रासाउंड के नाम पर गरीब देहाती मरीजों को लूट रहे हैं. बिना किसी डॉक्टर के पुर्जा के बगैर भी जांच कर देते हैं. मरीजों को दलालों के माध्यम से बहला फुसलाकर कर अपने सेंटर पर लाकर जांच करते हैं और मरीजों का शोषण करते हैं. हैरत की बात यह है कि चौसा अस्पताल में आशा पदों पर काम करने वाली महिलाएं भी बिना चिकित्सक के सलाह के भी अल्ट्रासाउंड व खून पेशाब जांच करवा देते हैं. जिससे उन्हें पैथोलॉजी व अल्ट्रासाउंड के संचालक के द्वारा मोटी रकम दी जाती है. सरकार के लाख कोशिशों के बावजूद भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रही है. प्रसव के लिए चौसा अस्पताल आई महिलाओं को आशा के माध्यम से अपने नर्सिंग होम में भर्ती करवाते थे और मोटी रकम लेकर ऑपरेशन कर प्रसव कराते थे.
अनुमंडल पदाधिकारी ने बताया कि जिला पदाधिकारी को सूचना मिली कि थाना चौक के ठीक सामने बाबा विशु राउत हॉस्पिटल के नाम से फर्जी तरीके से नर्सिंग होम चलाया जा रहा है. यहां भोले-भाले लोगों को दलालों के द्वारा फंसाकर लाया जाता है और ऑपरेशन किया जाता है तथा नवजात बच्चों का खरीद फरोख्त भी किया जाता है.
जानकारी मिलते ही एक जांच टीम गठित किया गया. छापेमारी के पहले एक अधिकारी को सादे लिबास में बच्चे की खरीददारी के लिए भेजा गया. उक्त हॉस्पिटल के संचालक सह चिकित्सक डॉ रिंकेश कुमार रवि से बातचीत के दौरान 80 हजार की मांग की गई. अंत में 65 हजार में फाइनल हुआ और रुपया देने के बाद बच्चे को चिकित्सक द्वारा दिया गया. फिर क्या था पूरी टीम पहले से ही सक्रिय थी, छापेमारी शुरू कर दी गई. मौके पर दिए गए 65 हजार रुपये बरामद किये गए. उन्होंने बताया कि नर्सिंग होम सील कर दिया गया है. यह क्षेत्र में फर्जी नर्सिंग होम चलाने वाले के लिए चेतावनी है. फर्जी नर्सिंग होम की कुंडली खंगाली जा रही है, जल्द ही छापेमारी की जाएगी.
अनुमंडल पुलिस उपाधीक्षक सतीश कुमार ने बताया कि बाबा विशु राउत हॉस्पिटल में महीनों से बच्चों की खरीद-फरोख्त की जा रही थी. खरीद-फरोख्त में यह बच्चे शामिल थे जो अविवाहित महिला द्वारा प्रसव कराया जाता था. उसी बच्चे को चिकित्सक द्वारा लोगों से मनचाहा रुपया लेकर बेच दिया जाता था. इस बच्चे की खरीद-फरोख्त में कई अन्य लोग भी शामिल हैं. पुलिस बारीकी से हर एक बिंदु पर जांच पड़ताल के लिए साक्ष्य एवं सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है ताकि कोई भी साक्ष्य छूटे नहीं. बाबा विशु राउत हॉस्पिटल परिसर को पूरी तरह से सील कर दिया गया है. इसके संपत्ति को भी खंगाला जा रहा है ताकि इस फर्जी नर्सिंग होम के माध्यम से इन्होंने कितने रुपए की संपत्ति जमा की है पता चल सके. उन्होंने बताया कि बाबा विशु राउत हॉस्पिटल पूरी तरह फर्जी तरीके से चल रहा था और इसके संचालक के पास चिकित्सक की कोई डिग्री नहीं है और ना ही अस्पताल चलाने के लिए सरकार से कोई निबंधन कराया था. बस यूं ही लोगों को धोखे में रख कर बेखौफ तरीके से नर्सिंग होम का संचालन करते थे और लोगों से मोटी राशि उगाही करते थे.
उधर बाबा विशु राउत हॉस्पिटल के संचालक सह चिकित्सक डॉ रिंकेश कुमार रवि ने बताया कि मुझ पर जो आरोप लगाया गया है वह गलत है. बहरहाल जो भी हो यह तो पुलिसिया जांच पड़ताल से ही मामला साफ होगा. फिलहाल जितनी मुंह उतनी बातें कही जा रही है.
No comments: