प्रखंड के रतवारा, खापुर, गंगापुर, बड़गाँव, इटहरी, कुंजोड़ी, आलमनगर दक्षिणी, आलमनगर पूर्वी पंचायत में बाढ़ का पानी फैल गया है. वहीं क्षेत्र के कई दर्जन घरों में अब बाढ़ का पानी घुस चुका है. रतवारा पंचायत के मूरोत के शिव मंदिर टोला, अठगामा टोला के नजदीक पुनर्वास, छतौना वासा, खापुर के दोकठिया के सैकड़ों घरों में पानी आ जाने से बाढ़ पीड़ित अपने सामान के साथ उँचे जगहों पर शरण ले रहें हैं. बाढ़ के कारण लोगों को भारी समस्याओं से रूबरू होना पड़ रहा है. वहीं दर्जनों गांव के घरों के चारों ओर पानी आ जाने से लोग परेशान हैं.
ज्ञात हो कि पिछले बीस दिनों से कोसी बराज से लगातार अत्यधिक मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद पानी का दबाव आलमनगर प्रखंड के दक्षिणी हिस्से में विकराल रूप अख्तियार कर लिया है. इस वजह से लोग सकते में हैं, खासकर धान लगाने वाले किसान के समक्ष भारी समस्या उत्पन्न हो गई है. इस बावत किसानों का कहना है कि अभी धान की रोपाई समाप्त कर पाया हूं कि पानी धान के खेतों में आ गई है एवं धान डूब गया है, जिससे अब धान की उम्मीद खत्म होने लगी है. वहीं मुरोत में हुए कटाव से विस्थापित परिवार जो शिव मंदिर टोला में आकर बस गए हैं उन परिवार के घरों में पानी आ जाने से उनके समक्ष गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है. लोग अपने सामान को ऊंचे जगहों पर ले जाते देखे गए. शिव मंदिर टोला के शंकरदेव, दाहो मल्लिक, सुभाष सिंह, जामुन ऋषिदेव, हीरो शर्मा, विनीत सिंह, बिन्नी सिंह, नरेश सिंह, उमेश राम, अठगामा टोला के पास पुनर्वासित सुमन ऋषिदेव, संजय ऋषिदेव, बोका ऋषिदेव, परमेश्वर ऋषिदेव जिन्हें सरकार द्वारा निरोध कटाव से विस्थापित हुए परिवारों को बसाया गया है. उन लोगों के समक्ष भारी परेशानी उत्पन्न हो गई है.
इन लोगों ने बताया कि पानी की रफ्तार ज्यादा बढ़ गई है एवं पानी हम लोगों के आंगन एवं घरों में प्रवेश कर गया है, जिससे भारी समस्या उत्पन्न हो गई है. लगातार 20 दिनों से पानी के उतार-चढ़ाव के कारण हम लोगों को एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो रहा है क्योंकि बाढ़ आने से पूर्व जो सत्तू एवं अन्य सूखा समान बनाया था वह खत्म हो गया एवं घरों में पानी आ जाने से अब जलावन एवं खाना बनाने का जगह नहीं रहने से भूखे पेट किसी तरह सूखा चूरा या किसी अन्य चीज को खाकर रहने को मजबूर हो रहे हैं.
वहीं पानी का अत्यधिक दबाव हो जाने के कारण छतोनावासा, मुरोत, मुरोत शिव मंदिर टोला, अठगामा निषाद टोला, पचवीरा, ललिया दोकठिया, खरोआ वासा, मारवाडी वासा, हड़जोड़ा सहित अन्य गांव का सड़क संपर्क पानी आ जाने के कारण भंग हो गया है एवं लोगों को जरूरतों का सामान लाने के लिए अब नाव ही एकमात्र सहारा रह गया है. खासकर पशुओं के चारा का संकट इस क्षेत्र में गहरा गया है. लोग पशुओं के चारा के लिए नाव का सहारा लेकर अपनी जान जोखिम में डालकर घास लाकर किसी तरह अपनी मवेशी की रक्षा करने में लगे हुए हैं. वहीं कई पशुपालक अपने पशुओं को लेकर जाते देखे जा रहे हैं. शिव मंदिर टोला के सुभाष सिंह ने बताया कि आवागमन के लिए अब नाव ही हम लोगों का सहारा बना है. खासकर मुरोत गांव से जो कटाव से बच गए हैं एवं कटाव से विस्थापित परिवार जो भरही धार से दक्षिण में शिव मंदिर टोला के पास बस गए हैं, उन्हें नाव से ही जान जोखिम में डालकर पार करना पड़ता है क्योंकि भरही धार में 2008 में आई बाढ़ के कारण पुल बह जाने के कारण अभी तक पुल का निर्माण नहीं होने से अपनी जरुरत के सामानों के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है. इस बावत अंचलाधिकारी आलमनगर अभय कुमार ने गुरुवार को भी उनके द्वारा बाढ़ क्षेत्र का भ्रमण कर लोगों की समस्या से रूबरू हुए बताया कि बाढ़ पर पैनी नजर प्रशासन की है. ऊँचे जगहों को चिन्हित कर लिया गया है. फिलहाल लोगों के आवागमन हेतु 26 नाव का परिचालन किया जा रहा है एवं तीन चार जगहों को और चिन्हित किया गया है. जल्द ही उन्हें नाव का परवाना दे दिया जाएगा.
बाढ़ क्षेत्र भ्रमण के दौरान अंचलाधिकारी अभय कुमार ने अठगामा टोला स्थित पुनर्वासित जिनके घरों में पानी आ गया है, वहीं शिव मंदिर टोला बाढ़ पीड़ित परिवार को उँचे स्थान स्कूल एवं बाढ़ आश्रय स्थल में जाने की अपील की. उन्होंने कहा कि जिनके घरों में पानी आ गया है वह प्रशासन द्वारा चयनित जगहों पर चले जाएंगे तो उनके लिए सामुदायिक किचन एवं सभी व्यवस्था सरकार द्वारा की जाएगी.
(रिपोर्ट: प्रेरणा किरण)
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