ज्ञात हो कि 1989 में थाना की स्थापना की गई है. इसके बावजूद भी थाना मूलभूत सुविधाओं से काफी वंचित है. बता दें कि कागज और भवन के बोर्ड में थाना अंकित है लेकिन पूर्ण रूप से थाना का दर्जा तक नहीं मिल पाया है. जबकि 7 पंचायतों की लगभग 80 हजार की आबादी के लोगों की सुरक्षा एवं देखरेख का जिम्मा थाना पर निर्भर है लेकिन स्थापना काल से आज तक थाना को अपना भवन तक नसीब नहीं हो पाया. कोसी प्रोजेक्ट के जर्जर हो चुके भवन में संचालित होता आ रहा है. जहां थाना का कार्यालय भी पूरी तरह जर्जर हो चुका है. थानाध्यक्ष को भी कार्यालय में बैठने एवं ऊपर से छत टूट-टूट कर गिरने का भय रहता है. वर्षा होने पर तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है जगह-जगह छत में से पानी रिसाव होने के कारण कई महत्वपूर्ण कागज भी बर्बाद हो जाता है. शस्त्रागार में रखे सभी अस्त्र शस्त्र रखने की सुरक्षा व्यवस्था नहीं रहने से कर्मियों को हमेशा किसी बड़ी अनहोनी की आशंका सताते रहती है.
थाना कर्मियों ने बताया कि थाने का अपना भवन नहीं रहने से हम लोगों को कोसी प्रोजेक्ट के जर्जर मकान में रहना पड़ता है. साथ ही दो रोज से लगातार हो रही बारिश में हम लोग बैठकर समय बिताए हैं क्योंकि घर कब गिर जाए इस बात की कोई गारंटी नहीं. डर से बैठकर रात बिताते हैं, जबकि थाना में सात ऑफिसर, एक सेक्सन जिला बल, एक सेक्शन गृह रक्षक बल, 16 चौकीदार पदस्थापित हैं. जबकि 28 फरवरी को जिला पुलिस अधीक्षक ने थाना का निरीक्षण कर थाना के वस्तुस्थिति के बारे में जानकारी ली थी लेकिन कोई देखने वाला नहीं है. वहीं थाना अध्यक्ष रामनारायण यादव ने बताया कि थाना में रहने की सुविधा को लेकर कई बार जिला को प्रतिवेदन दिया गया है.
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