जबकि तीन दशक पूर्व से मुरलीगंज को अनुमंडल बनाने की मांग धरना प्रदर्शन के माध्यम से उठती रही है. मुरलीगंज और कुमारखंड प्रखंड को मिलाकर मुरलीगंज को अनुमंडल का दर्जा दिया जा सकता है, जो जनहित में होगा.
हेल्पलाइन ने मुरलीगंज को अनुमंडल का दर्जा दिए जाने के लिए कुछ तथ्य इस प्रकार रखे:
मुरलीगंज प्रखंड की आबादी लगभग ढाई लाख है. इसमें 17 पंचायत और 1 नगर पंचायत शामिल हैं. कुमारखंड प्रखंड की आबादी लगभग सवा तीन लाख है. इसमें 21 पंचायत शामिल है. कुमारखंड के पास श्रीनगर थाना और बेलारी ओपी है जो भौगोलिक रूप से मुरलीगंज के नजदीक है. मुरलीगंज से वर्तमान अनुमंडल मधेपुरा की दूरी 22 किलोमीटर और कुमारखंड से मधेपुरा की दूरी 35 किलोमीटर तथा श्रीनगर और बेलारी से मधेपुरा की दूरी काफी अधिक है. मुरलीगंज और कुमारखंड प्रखंड के सुदूरवर्ती इलाके से अनुमंडल मुख्यालय की दूरी औसत रूप से 50-60 किलोमीटर है. कुमारखंड प्रखंड से मधेपुरा तक जाने के लिए आवागमन के सुगम सुविधा उपलब्ध नहीं है. अनुमंडल मुख्यालय जाने-आने में 125 किलोमीटर तक की यात्रा करनी पड़ती है, जो आम आदमी के लिए आर्थिक रूप से कष्टदायक है. मुरलीगंज की भौगोलिक सीमा पूर्णिया जिले से तो कुछ प्रखंड की सीमा सुपौल, अररिया जिले से जुड़ी हैं. मुरलीगंज, मधेपुरा जिले के आर्थिक गतिविधि का महत्वपूर्ण केंद्र है. यह कपड़ा, गल्ला और किराना व्यापार का बड़ा व्यावसायिक बाजार है, जहाँ प्रतिदिन करोड़ों का कारोबार होता है.पूर्णिया, अररिया और सुपौल जिले के व्यवसायियों के कारोबार का केंद्र बिंदु मुरलीगंज है और जिले के आम लोग भी यहाँ खरीददारी के लिए आते हैं.मुरलीगंज में 6 राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखा है और 6 नेशनल ट्रांसपोर्ट एजेंसी की कार्यालय अवस्थित है.
कहा कि ऐसी स्थिति में मुरलीगंज को अनुमंडल बनाना इलाके के लोगों के हित में होगा.
(नि.सं.)
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