वहीं प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पूछा कि बिहार में कितना निवेश आया? किसानों को सबसे कम कीमत पर फसल बेचनी पड़ती है। अगर बिहार में कृषि इसके बाद कृषि क्रांति आ गई थी तो मजदूरों के पलायन का सबसे दर्दनाक चेहरा बिहार में ही देखने को मिलता है़। प्रेस विज्ञप्ति में उठाये गये ग्यारह सवालों पर चर्चा करती हुई उन्होने कहा कि ये लड़ाई एम आर पी बनाम एम एस पी की है और क्यों नही बिहार कृषि आय में अग्रणी राज्य बन सका। क्यों नहीं किसानो क़ी आत्म हत्या रोक सकी। बिहार में गेहूँ की खरीद जहाँ एक प्रतिशत हो सकी वहीं पंजाब में धान क़ी एम एस पी 1883 रुपया प्रति क्विंटल है़ जबकि बिहार में किसानों का धान खरीददार 1200 रुपया क्विंटल भी खरीदने को तैयार नहीं हो रहा. क्या इसे ही कहते हैं विकसित राज्य? कृषि बिल लाकर देश में अन्नदाता कहलाने वाले का हक छीन रही है केंद्र सरकार। जी एस टी अर्थ व्यवस्था को ऊपर ले जाने के बजाय नीचे ले आई जिसे सरकार नजर अंदाज कर रही है़। केंद्र सरकार को पूंजीपति कि सरकार बताते हुए कहा की किसान विरोधी यह सरकार साजिश के तहत मंडियों को खत्म करना चाहती है ताकि गिने चुने व्यापारियों को फायदा हो और यह जो कृषि कानून ये लाये है उसके जरिये ये चाहते हैं कि देश के अन्नदाताओं का हक छीनकर अपने आका अडानी और अंबानी के सुपुर्द कर दे जो देश किसी हाल में स्वीकार नही करने वाला।
मौके पर लोजद के प्रदेश महासचिव हाजी अब्दुस सत्तार, पूर्व प्रमुख सह लोजद नेता जयप्रकाश सिंह, प्रो ओमप्रकाश यादव, युगलकिशोर यादव, जयप्रकाश यादव, गोपाल यादव, राजाराम मेहता, विनोद सिंह, राजो मंडल, जिला परिषद प्रतिनिधि कमलेश्वरी साह, अरूण निषाद, मोहम्मद ऐनुल, मोहम्मद इरशाद, विन्देश्वरी प्रसाद यादव सहित दर्जनों अन्य मौजूद थे।
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