पुल निर्माण के लगभग 10 साल बाद भी सड़क के संपर्क जोड़ने और पहुंच पथ की दशा सुधारने में जनप्रतिनिधि और विभाग अधिकारी उदासीन बने हुए हैं। इस वजह से जान जोखिम में डालकर वाहनों की आवाजाही होती है। वहीं इस पुल से दो पहिया वाहन छोड़ बड़े वाहन का परिचालन बंद है। दो पहिया वाहनों को गुजरना खतरनाक बन चुका है। दो पहिया वाहन चालक जान जोखिम में डालकर आने जाने को विवश हैं। वहीँ बरसात के मौसम में पुल होने के बाबजूद भी इस सड़क से आवागमन बाधित रहता है।
उलेखनीय है कि पुल दर्जनों गांवो के हजारों की आबादी को सहरसा, सुपौल के अलावा पंचगिछिया रेलवे स्टेशन को जोड़ती है और यह पुल मार्ग तीनों स्थानों को कम दूरी तय कर जोड़ने का काम करती है। इस महत्वपूर्ण मार्ग की स्थिति यह है कि पुल में एप्रोच पथ निर्माण नहीं किए जाने से सहरसा पंचगिछिया मार्ग से संपर्क टूटा हुआ है। वहीँ पुल के पहुँच पथ नहीं होने के कारण गड्ढा को पार करना दो पहिया वाहन व पैदल चलने वालों के लिए कष्टप्रद बन चुका है। तिलाबे धार से उस पार बरसात के मौसम में खेती करने के लिए किसानों को ट्रैक्टर काफी दूरी तय कर पहुचते हैं। किसान और मजदूर जान जोखिम उठा कर खेत पंहुचते हैं। खासकर बरसात में पशुपालकों को भी मवेशियों के चारा लाने में मशक्कत उठानी पड़ती है।
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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November 08, 2020
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