रविवार की संध्या विश्व संगीत दिवस पर सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में अहम योगदान देने वाली संस्था सृजन दर्पण ने गीत संगीत एवं परिचर्चा का आयोजन किया.
इसकी शुरुआत गांधी जी के प्रिय भजन 'रघुपति राघव राजा राम' और 'वैष्णव जन तो तेने कहिए' से की गयी. इस अवसर पर संगीत की समग्रता का ख्याल रखते हुए क्षेत्रीय से लेकर शास्त्रीय गायन हुआ. कार्यक्रम को विशेषकर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर योगेन्द्र ना० यादव के चिर अभ्यस्त अंगुलियों की थिरकन से निकलने वाली आवाज ने यादगार बना दिया.
परिचर्चा में संगीत की महत्ता बताते हुए प्रो० यादव ने कहा कि वर्तमान वैश्विक संकट के बीच इसकी सख्त जरुरत है कि लोगों को हताशा से बचाते हुए इससे लड़ने हेतु भावनात्मक संबल दिया जाए और बेशक यह काम संगीत के जरिए होता आया है. उन्होंने कहा कि संसार की बड़ी से बड़ी क्रांति और बदलाव में इसकी अहमियत से लोग वाकिफ हैं.
वहीं कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए संस्था सचिव बिकास कुमार ने कहा कि जीवन के यथार्थ एवं मूल्य सामान्यतः कड़ुआ होता है, यही जब संगीत के आनन्दमय लय के साथ हम तक पहुँचता है तो सहज ही हृदयंगम हो जाता है और हमारे विचार एवं कर्म अनायास लोकहित से जुड़ जाते हैं. इसलिए संगीत मानव जीवन का अभिन्र हिस्सा है. शिक्षक कृष्ण रंजन ने कहा कि व्यथित मन में शांति, उदास चेहरे पर खुशी एवं हताश हृदय में उत्साह भरने की अद्भुत क्षमता संगीत में होती है. संस्था के वरीय सदस्य सुशील कुमार ने कहा लोगों की रुचि का परिष्कार संगीत के जरिए सहजता से होता है.
कायर्क्रम के दौरान सृजन दर्पण के सम्मानित रंगकर्मी पुष्पा कुमारी, कुमारी मनीषा, रूपा कुमारी, कृतिका रंजन, राखी कुमारी एवं अंजली कुमारी की बेहतरीन प्रस्तुति से कार्यक्रम प्रभावी बना. अंत में संस्था के रंगकर्मियों ने बताया कि इस खास अवसर पर हमलोगो को अपने गीत, नृत्य और रंगकर्म के माध्यम से लोकोपकारी संदेशों को लोगों तक पहुँचाने के अपने संकल्प को और मजबूती देने की प्रेरणा मिली. कार्यक्रम की सफलता में कुमारी कंचन माला का योगदान सराहनीय रहा.
इसकी शुरुआत गांधी जी के प्रिय भजन 'रघुपति राघव राजा राम' और 'वैष्णव जन तो तेने कहिए' से की गयी. इस अवसर पर संगीत की समग्रता का ख्याल रखते हुए क्षेत्रीय से लेकर शास्त्रीय गायन हुआ. कार्यक्रम को विशेषकर राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर योगेन्द्र ना० यादव के चिर अभ्यस्त अंगुलियों की थिरकन से निकलने वाली आवाज ने यादगार बना दिया.
परिचर्चा में संगीत की महत्ता बताते हुए प्रो० यादव ने कहा कि वर्तमान वैश्विक संकट के बीच इसकी सख्त जरुरत है कि लोगों को हताशा से बचाते हुए इससे लड़ने हेतु भावनात्मक संबल दिया जाए और बेशक यह काम संगीत के जरिए होता आया है. उन्होंने कहा कि संसार की बड़ी से बड़ी क्रांति और बदलाव में इसकी अहमियत से लोग वाकिफ हैं.
वहीं कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए संस्था सचिव बिकास कुमार ने कहा कि जीवन के यथार्थ एवं मूल्य सामान्यतः कड़ुआ होता है, यही जब संगीत के आनन्दमय लय के साथ हम तक पहुँचता है तो सहज ही हृदयंगम हो जाता है और हमारे विचार एवं कर्म अनायास लोकहित से जुड़ जाते हैं. इसलिए संगीत मानव जीवन का अभिन्र हिस्सा है. शिक्षक कृष्ण रंजन ने कहा कि व्यथित मन में शांति, उदास चेहरे पर खुशी एवं हताश हृदय में उत्साह भरने की अद्भुत क्षमता संगीत में होती है. संस्था के वरीय सदस्य सुशील कुमार ने कहा लोगों की रुचि का परिष्कार संगीत के जरिए सहजता से होता है.
कायर्क्रम के दौरान सृजन दर्पण के सम्मानित रंगकर्मी पुष्पा कुमारी, कुमारी मनीषा, रूपा कुमारी, कृतिका रंजन, राखी कुमारी एवं अंजली कुमारी की बेहतरीन प्रस्तुति से कार्यक्रम प्रभावी बना. अंत में संस्था के रंगकर्मियों ने बताया कि इस खास अवसर पर हमलोगो को अपने गीत, नृत्य और रंगकर्म के माध्यम से लोकोपकारी संदेशों को लोगों तक पहुँचाने के अपने संकल्प को और मजबूती देने की प्रेरणा मिली. कार्यक्रम की सफलता में कुमारी कंचन माला का योगदान सराहनीय रहा.
सृजन दर्पण ने किया गीत संगीत एवं परिचर्चा का आयोजन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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June 22, 2020
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