मधेपुरा जिले के शंकरपुर प्रखंड क्षेत्र में पहली बार प्रगतिशील किसान भीमशंकर सिंह ने काला धान की रोपाई कर औषधीय अनाज उत्पादन का शुभारंभ किया.
बताया गया कि काला चावल में कई औषधीय गुण है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है. यह चावल सामान्य धान के चावल के तुलना में कई गुणा अधिक गुणकारी है. इसमें एथ्रोसीन नामक रासायनिक पदार्थ प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, जिसके कारण यह प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेन्ट का भी कार्य करता है. इस चावल के नियमित सेवन से हदय रोग, डायबिटीज, कैंसर, ब्लडप्रेशर, मोटापा जैसे कई बीमारी में लोगों को फायदा मिलता है. उत्पादन की दृष्टि से भी अच्छा है, यह उत्पादन की दृष्टि से अच्छा पैदावार देता है जो किसानों की माली हालत को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकता है.
इस बावत किसान भीमशंकर सिंह ने बताया कि प्रखंड उद्यान पदाधिकारी बेतिया विकास सिंह जो उनके पुत्र कृषि सम्वन्वयक अमरदीप राई के मित्र हैं उन्हीं के द्वारा काला चावल की खेती के लिए मुझे उत्साहित किया गया था. इस बारे में श्रीविधि द्वारा एक एकड़ खेत में काला चावल लगा रहा हूँ. इसके बाद अगले वर्ष से इस खेती को पंचायत के और सब किसानों को करने के लिए जागरूक करूँगा.
उन्होंने बताया कि आनेवाले समय में औषधीय खेती के रूप में काला गेहूं की खेती की योजना है जिससे कि कम लागत में औषधीय अनाज की खेती कर अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. साथ ही मछली पालन करने की दिशा में कार्य प्रारंभ किया गया है.
मालूम हो कि किसान भीमशंकर सिंह साक्षर भारत मिशन के मधेपुरा जिला सचिव पद पर रह चुके हैं. उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा विभाग में सुधार के लिए देश के कई राज्यों का दौरा कर चुके हैं. वे मूलतः पड़ोसी देश नेपाल के वासी हैं. उनके पूर्वज बहुत पहले ही भारत आए थे, तब से वे लोग तरह-तरह की खेती और मछली पालन कर गुजर-बसर किया करते थे, लेकिन 60 वर्षीय भीमशंकर सिंह को छात्र जीवन से ही सामाजिक कार्य में काफी लगाव रहा इसलिए वे 1981 में शुरुआत किये हुए साक्षरता अभियान के तहत ज्ञान विज्ञान समिति मधेपुरा में जिला के विभिन्न पदों को सुशोभित किया लेकिन अब जीवन के अंतिम पड़ाव में सबकुछ छोड़कर औषधीय अनाज की खेती कर आमलोगों की सेवा से जुड़े रहने का मन बना लिया है. अभी भी उनके घर परिवार में नेपाली संस्कृति की एक झलक दिखाई देती है, लेकिन वे हमेशा सेवा की भावना से लोगों के बीच जुड़े रहते हैं.
बताया गया कि काला चावल में कई औषधीय गुण है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है. यह चावल सामान्य धान के चावल के तुलना में कई गुणा अधिक गुणकारी है. इसमें एथ्रोसीन नामक रासायनिक पदार्थ प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, जिसके कारण यह प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेन्ट का भी कार्य करता है. इस चावल के नियमित सेवन से हदय रोग, डायबिटीज, कैंसर, ब्लडप्रेशर, मोटापा जैसे कई बीमारी में लोगों को फायदा मिलता है. उत्पादन की दृष्टि से भी अच्छा है, यह उत्पादन की दृष्टि से अच्छा पैदावार देता है जो किसानों की माली हालत को बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकता है.
इस बावत किसान भीमशंकर सिंह ने बताया कि प्रखंड उद्यान पदाधिकारी बेतिया विकास सिंह जो उनके पुत्र कृषि सम्वन्वयक अमरदीप राई के मित्र हैं उन्हीं के द्वारा काला चावल की खेती के लिए मुझे उत्साहित किया गया था. इस बारे में श्रीविधि द्वारा एक एकड़ खेत में काला चावल लगा रहा हूँ. इसके बाद अगले वर्ष से इस खेती को पंचायत के और सब किसानों को करने के लिए जागरूक करूँगा.
उन्होंने बताया कि आनेवाले समय में औषधीय खेती के रूप में काला गेहूं की खेती की योजना है जिससे कि कम लागत में औषधीय अनाज की खेती कर अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है. साथ ही मछली पालन करने की दिशा में कार्य प्रारंभ किया गया है.
मालूम हो कि किसान भीमशंकर सिंह साक्षर भारत मिशन के मधेपुरा जिला सचिव पद पर रह चुके हैं. उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा विभाग में सुधार के लिए देश के कई राज्यों का दौरा कर चुके हैं. वे मूलतः पड़ोसी देश नेपाल के वासी हैं. उनके पूर्वज बहुत पहले ही भारत आए थे, तब से वे लोग तरह-तरह की खेती और मछली पालन कर गुजर-बसर किया करते थे, लेकिन 60 वर्षीय भीमशंकर सिंह को छात्र जीवन से ही सामाजिक कार्य में काफी लगाव रहा इसलिए वे 1981 में शुरुआत किये हुए साक्षरता अभियान के तहत ज्ञान विज्ञान समिति मधेपुरा में जिला के विभिन्न पदों को सुशोभित किया लेकिन अब जीवन के अंतिम पड़ाव में सबकुछ छोड़कर औषधीय अनाज की खेती कर आमलोगों की सेवा से जुड़े रहने का मन बना लिया है. अभी भी उनके घर परिवार में नेपाली संस्कृति की एक झलक दिखाई देती है, लेकिन वे हमेशा सेवा की भावना से लोगों के बीच जुड़े रहते हैं.
जरा हटके: काला धान की रोपाई कर औषधीय अनाज उत्पादन का किया शुभारंभ
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 15, 2020
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