मधेपुरा के घैलाढ़ प्रखंड क्षेत्र के अर्राहा महुआ दिघरा पंचायत के अर्राहा गांव के काली मंदिर परिसर में अर्राहा के समस्त ग्रामीणों ने एक बैठक की जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि समस्त अर्राहा ग्रामीण मृत्यु भोज नहीं खाएंगे और नहीं करेंगे.
इस समाज के लोगों का कहना है कि किसी के घर में मौत हो जाती है तो उस परिवार में लोग मृत्यु भोज नहीं करने जैसे बड़ा निर्णय आसानी से नहीं ले पाते हैं. यही सोचते हैं कि समाज वाले क्या कहेंगे. लोग तरह-तरह की बातें बनाएंगे और पीठ पीछे ताना भी देंगे कि खर्च से डर गए. मगर ऐसा सोचना और कहना समाज हित में कतई नहीं है. अगर कोई मृत्यु भोज आयोजित नहीं करने का ऐलान करता है तो उसकी पीठ थपथपानी चाहिए ताकि उसे लगे कि वह सही है.
वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो सार्वजनिक रूप से इस कुरीति के खात्मे के लिए हाँ में हाँ तो मिलते हैं मगर जब मौका पड़ता है तो यह कह कर पीछे हट जाते हैं कि जिसको जैसा करना हो वह वैसा करें. खुशी की बात यह कि अर्राहा समाज के ज्यादातर लोग मृत्यु भोज के खिलाफ है. इसलिए सबसे पहले मृत्यु भोज जैसी कुप्रथा को मिटाना होगा. इसका सबसे अहम रास्ता तो यही है कि लोग मृत्यु भोज का बहिष्कार करें.
वहीं मौके पर बलराम सिंह, अशोक सिंह, कुशेश्वर सिंह, अरुण सिंह, चंदन कुमार सिंह, मिथलेश प्रसाद सिंह, कुंदन कुमार सिंह, पंकज कुमार सिंह, परमानंद सिंह सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे.
इस समाज के लोगों का कहना है कि किसी के घर में मौत हो जाती है तो उस परिवार में लोग मृत्यु भोज नहीं करने जैसे बड़ा निर्णय आसानी से नहीं ले पाते हैं. यही सोचते हैं कि समाज वाले क्या कहेंगे. लोग तरह-तरह की बातें बनाएंगे और पीठ पीछे ताना भी देंगे कि खर्च से डर गए. मगर ऐसा सोचना और कहना समाज हित में कतई नहीं है. अगर कोई मृत्यु भोज आयोजित नहीं करने का ऐलान करता है तो उसकी पीठ थपथपानी चाहिए ताकि उसे लगे कि वह सही है.
वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जो सार्वजनिक रूप से इस कुरीति के खात्मे के लिए हाँ में हाँ तो मिलते हैं मगर जब मौका पड़ता है तो यह कह कर पीछे हट जाते हैं कि जिसको जैसा करना हो वह वैसा करें. खुशी की बात यह कि अर्राहा समाज के ज्यादातर लोग मृत्यु भोज के खिलाफ है. इसलिए सबसे पहले मृत्यु भोज जैसी कुप्रथा को मिटाना होगा. इसका सबसे अहम रास्ता तो यही है कि लोग मृत्यु भोज का बहिष्कार करें.
वहीं मौके पर बलराम सिंह, अशोक सिंह, कुशेश्वर सिंह, अरुण सिंह, चंदन कुमार सिंह, मिथलेश प्रसाद सिंह, कुंदन कुमार सिंह, पंकज कुमार सिंह, परमानंद सिंह सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे.
दमदार निर्णय: मधेपुरा के एक समूचे गाँव ने किया मृत्यु भोज के बहिष्कार का एलान
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 23, 2020
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