मधेपुरा के सिंहेश्वर मंदिर में चल रहे सात दिवसीय श्री श्री 108 भागवत कथा में साध्वी निष्ठा अवस्थी ने कहा कि जीवन बहुत ही थोड़ा है परम पिता को याद कर लें.
उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में लोगों को सुख शांति का अनुभव नहीं हो पा रहा है. योगी ध्यानी भी ईश्वर को प्राप्त करने के अनेकों उपाय ढूंढ रहे हैं लेकिन चंचल मन के कारण अभी तक सुख की प्राप्ति नहीं हुई है.
प्राय: साधारण लोग भी कष्टों के निवारण के लिए मठ, मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा तथा देवी देवताओं के पास मन्नत मांगते फिरते हैं. उनके चरणो में चढ़ावा चढ़ाते हैं परंतु शांति और सुख का अनुभव नहीं करते हैं. हर समय परेशान नजर आते हैं चेहरे पर चिड़चिड़ापन, क्रोध, घबराहट, प्रतिशोध, अहंकार और मुख पर रहस्यमय मुस्कुराहट छिपी रहती है. दिल मोह रुपी दलदल में फंसा नजर आता है. सुख खोजने के लिए कभी-कभी दूसरे के आत्माओं को भी कष्ट दे रहे हैं. खान-पान के माध्यम से भी लगातार सुख खोज रहे हैं परंतु कुछ समय बाद फिर वही पुरानी दशा हो जाती है. परंतु मन फिर भी अशांत और दुखी रहता है.
इसलिए परमपिता परमेश्वर की आराधना में लीन हो वहीं एक मात्र साधन है लोगों को चिर सुख के प्राप्ति की. कब इस जिंदगी से छुटकारा मिल जाय और मौत आ जाए कोई नहीं कह सकता. इसलिए परमपिता को याद करना ही सुख और शांति का आधार है. चिर सुख और शांति तब प्राप्त होगा जब हम विकारों को छोड़कर परमात्मा से सच्चा स्नेह, सोहार्द अपनाकर, उनका विश्वास पात्र बने. सच्ची शांति के लिए दिव्य ज्ञान की जरूरत है जो सिर्फ परम पिता परमेश्वर की सेवा और भक्ति से ही हासिल किया जा सकता. हम सब आत्माये परम पिता की संतान हैं. शरीर का मोह छोड़ कर आत्मा से मोह लगाये.
मौके पर बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाईं संघ के धर्मेंद्र सिंह, पिंटु कुमार, पप्पू यादव, बुलबुल कुमार, अभिषेक भगत, प्रिंस गौतम, राजदीप यादव, बबलू यादव, न्यास समिति के सदस्य विजय सिंह, प्रबंधक मनोज ठाकुर, बचनु बाबा, लालबाबा पंडा, अमरनाथ ठाकुर, निरंजन ठाकुर, दिपक ठाकुर, शंभू ठाकुर, उदय ठाकुर, प्रभाष मल्लिक, बाल किशोर यादव, विनोद यादव सहित सैकड़ों श्रद्धालुगण मौजूद थे.
उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में लोगों को सुख शांति का अनुभव नहीं हो पा रहा है. योगी ध्यानी भी ईश्वर को प्राप्त करने के अनेकों उपाय ढूंढ रहे हैं लेकिन चंचल मन के कारण अभी तक सुख की प्राप्ति नहीं हुई है.
प्राय: साधारण लोग भी कष्टों के निवारण के लिए मठ, मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा तथा देवी देवताओं के पास मन्नत मांगते फिरते हैं. उनके चरणो में चढ़ावा चढ़ाते हैं परंतु शांति और सुख का अनुभव नहीं करते हैं. हर समय परेशान नजर आते हैं चेहरे पर चिड़चिड़ापन, क्रोध, घबराहट, प्रतिशोध, अहंकार और मुख पर रहस्यमय मुस्कुराहट छिपी रहती है. दिल मोह रुपी दलदल में फंसा नजर आता है. सुख खोजने के लिए कभी-कभी दूसरे के आत्माओं को भी कष्ट दे रहे हैं. खान-पान के माध्यम से भी लगातार सुख खोज रहे हैं परंतु कुछ समय बाद फिर वही पुरानी दशा हो जाती है. परंतु मन फिर भी अशांत और दुखी रहता है.
इसलिए परमपिता परमेश्वर की आराधना में लीन हो वहीं एक मात्र साधन है लोगों को चिर सुख के प्राप्ति की. कब इस जिंदगी से छुटकारा मिल जाय और मौत आ जाए कोई नहीं कह सकता. इसलिए परमपिता को याद करना ही सुख और शांति का आधार है. चिर सुख और शांति तब प्राप्त होगा जब हम विकारों को छोड़कर परमात्मा से सच्चा स्नेह, सोहार्द अपनाकर, उनका विश्वास पात्र बने. सच्ची शांति के लिए दिव्य ज्ञान की जरूरत है जो सिर्फ परम पिता परमेश्वर की सेवा और भक्ति से ही हासिल किया जा सकता. हम सब आत्माये परम पिता की संतान हैं. शरीर का मोह छोड़ कर आत्मा से मोह लगाये.
मौके पर बाबा लक्ष्मीनाथ गोसाईं संघ के धर्मेंद्र सिंह, पिंटु कुमार, पप्पू यादव, बुलबुल कुमार, अभिषेक भगत, प्रिंस गौतम, राजदीप यादव, बबलू यादव, न्यास समिति के सदस्य विजय सिंह, प्रबंधक मनोज ठाकुर, बचनु बाबा, लालबाबा पंडा, अमरनाथ ठाकुर, निरंजन ठाकुर, दिपक ठाकुर, शंभू ठाकुर, उदय ठाकुर, प्रभाष मल्लिक, बाल किशोर यादव, विनोद यादव सहित सैकड़ों श्रद्धालुगण मौजूद थे.
'चंचल मन के कारण सुख की प्राप्ति नहीं होती है': साध्वी निष्ठा अवस्थी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 23, 2020
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