'दर्द गहरा है': सहरसा में “एक दीया ओवरब्रिज के नाम”

कोसी के आमजनों के लिए अति आवश्यक हो चुका ओवरब्रिज, जो बीते 20 वर्षों से न जाने कौन-कौन से पेंच में फंसा हुआ है। सहरसा के उसी दर्द को बयां करते हुए स्थानीय युवाओं ने एक नेक पहल की, दीपावली के अवसर पर “एक दीया ओवरब्रिज के नाम”.


आपको बता दें कि आये दिन या फिर यूँ कहें कि हमेशा सहरसा के बंगाली बाज़ार और थाना चौक गंगजला के समीप रेलवे का फाटक बंद रहने की वजह से महाजाम की स्थिति बनी रहती है। इस भीषण समस्या के समाधान को लेकर सामाजिक संगठनों द्वारा कई बार असंगठित रूप से आंदोलन भी किया गया और आंदोलन या फिर आमजन के बीच ज्वलंत इस मुद्दे के ऊपर कई बार पूर्व और वर्तमान सांसद तथा अपने आपको कोसी के शूरमा बताने वाले कई नेताओं ने फर्जी शिलान्यास और ओवरब्रिज निर्माण कार्य यथा शीघ्र प्रारंभ होने की बात कही, कई बार तो तारीख भी बताई गई कि फलां तारीख से निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

स्थानीय युवाओं का कहना है कि ओवरब्रिज निर्माण को लेकर बहुतों बार शिलान्यास, उद्धघाटन, भुमि पूजन तक हुआ लेकिन अब तक निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है। ओवरब्रिज निर्माण को लेकर कई संगठनों एवं व्यक्ति विशेष द्वारा बहुतों बार कई तरह का आंदोलन भी किया गया लेकिन निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है।

उपस्थित व्यक्तियों का कहना था कि अब जरूरत है कि हम आम जनमानस गर समय रहते हम जागरूक नहीं हुए तो सहरसा में विकास सम्भव नहीं है। सहरसा में ओवरब्रिज का निर्माण धरातल पर शुरू हो जाए, इसलिए दीपावली के अवसर पर सहरसा के सैकड़ों युवाओं ने “एक दीया ओवरब्रिज के नाम” से एक जागरूकता का पहल किया है।

मधेपुरा टाइम्स तहे दिल से युवाओं के इस नेक पहल की सराहना करती है और साथ ही कोसी के तमाम व्यक्तियों से निवेदन करती है कि नेताओं के भरोसे नहीं, खुद के भरोसे और इस पहल “एक दीया ओवरब्रिज के नाम” के लौ को तब तक जलाने में मदद करें जबतक ओवरब्रिज का निर्माण न पूरा हो जाये।

यह आयोजन पत्रकार तेजस्वी ठाकुर के द्वारा किया गया था, जिसमें सोमू आनंद, रोशन झा, विकास मिश्रा, सोहन झा, कौशल क्रांति, रितेश हनी वर्मा सहित दर्जनों युवाओं ने हिस्सा लिया।
(नि. सं.)
'दर्द गहरा है': सहरसा में “एक दीया ओवरब्रिज के नाम” 'दर्द गहरा है': सहरसा में “एक दीया ओवरब्रिज के नाम” Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 28, 2019 Rating: 5

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