'मनुष्य कर्म भूल कर विषय भोग में लिप्त हो चुके हैं, जिससे स्वर्गरूपी घर परिवार नरक बन चुका है': सत्संग का आयोजन
मधेपुरा के घैलाढ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पथराहा चौक पर विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर तीन दिवसीय संतमत सत्संग का समापन हुआ.
जिस में झारखंड के दुमका जिला अंतर्गत महर्षि मेंही भक्ति वाटिका कोरदाहा से आये साध्वी अनीता माँ जी के वैदिक मंत्रों और अमृतवाणी से पथराहा गांव गूंजवान रहा. संध्या में साध्वी ने पुरुषोत्तम राम व कृष्ण और सत्यवान कथा के माध्यम से ईश्वर के प्रति समर्पण को ले कर प्रवचन दिया.
इस सत्संग में अनिता माँ ने कहा कि सत्संग से ज्ञान होता है और ज्ञान से ध्यान का मार्ग प्रशस्त होता है. धन से किसी को शांति प्राप्त नहीं होता है बल्कि मनुष्य अगर शांति चाहता है तो सत्संग करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है लेकिन वर्तमान समय में यह अपना कर्म भूल कर विषय भोग में लिप्त हो चुकी है. जिस कारण स्वर्ग रूपी घर परिवार नरक बन चुका है. मनुष्य पंचपाप जैसे चोरी, झूठ, नशा, हिंसा, व्यभिचार और छह विकार जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद मत्सर से ग्रसित होकर अज्ञानता में डूब चुका है.
इन्हीं सब कारणों से मनुष्य के अंदर ज्ञान का प्रकाश फैलाने की आवश्यकता है ताकि मनुष्य विवेकशील प्राणी बना रह सके. इसके लिए संतमत के ज्ञान को स्वीकार कर मानस जप मानस ध्यान दृष्टि साधन नदानुसंधान की क्रिया को अपना कर मनुष्यता लायी जा सकती है. संतमत के मार्ग पर चलकर ही जीवन में परम शांति, परम सुख और परम आनंद प्राप्त कर पंचपाप और छह विकार पर विजय प्राप्त किया जा सकता है.
सत्संग प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं खासकर महिलाओं की ओर इशारों में कहा कि माता पिता के तरह ही सास ससुर के सेवा में लगे रहना चाहिए. और कहा कि कर्म प्रधान विश्व रची राखा, जो जस करिहै तस फल चाखा. साथ ही पुरुषोत्तम श्री राम श्री कृष्ण और सत्यवान जैसे पति चाहने वाले पहले खुद सीता, राधा और सावित्री बनने का प्रयास करें ताकि अपने कर्म प्रेम के बल पर पंचपाप पर भी विजय प्राप्त कर सके. और भी कई तरह की कथाओं के माध्यम से ईश्वर के प्रति समर्पण को ले कर प्रवचन दिया.
इस तीन दिवसीय सत्संग को सफल बनाने में सामाजिक संगठन में साधु यादव, माधव यादव, अशोक प्रसाद, जयप्रकाश कुमार, राजनंदन यादव, राकेश कुमार, ओमप्रकाश कुमार, संतोष कुमार, संजय कुमार, मनीष कुमार, हवेनदर यादव आदि लगे हुए थे.


इस सत्संग में अनिता माँ ने कहा कि सत्संग से ज्ञान होता है और ज्ञान से ध्यान का मार्ग प्रशस्त होता है. धन से किसी को शांति प्राप्त नहीं होता है बल्कि मनुष्य अगर शांति चाहता है तो सत्संग करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है लेकिन वर्तमान समय में यह अपना कर्म भूल कर विषय भोग में लिप्त हो चुकी है. जिस कारण स्वर्ग रूपी घर परिवार नरक बन चुका है. मनुष्य पंचपाप जैसे चोरी, झूठ, नशा, हिंसा, व्यभिचार और छह विकार जैसे काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद मत्सर से ग्रसित होकर अज्ञानता में डूब चुका है.
इन्हीं सब कारणों से मनुष्य के अंदर ज्ञान का प्रकाश फैलाने की आवश्यकता है ताकि मनुष्य विवेकशील प्राणी बना रह सके. इसके लिए संतमत के ज्ञान को स्वीकार कर मानस जप मानस ध्यान दृष्टि साधन नदानुसंधान की क्रिया को अपना कर मनुष्यता लायी जा सकती है. संतमत के मार्ग पर चलकर ही जीवन में परम शांति, परम सुख और परम आनंद प्राप्त कर पंचपाप और छह विकार पर विजय प्राप्त किया जा सकता है.
सत्संग प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं खासकर महिलाओं की ओर इशारों में कहा कि माता पिता के तरह ही सास ससुर के सेवा में लगे रहना चाहिए. और कहा कि कर्म प्रधान विश्व रची राखा, जो जस करिहै तस फल चाखा. साथ ही पुरुषोत्तम श्री राम श्री कृष्ण और सत्यवान जैसे पति चाहने वाले पहले खुद सीता, राधा और सावित्री बनने का प्रयास करें ताकि अपने कर्म प्रेम के बल पर पंचपाप पर भी विजय प्राप्त कर सके. और भी कई तरह की कथाओं के माध्यम से ईश्वर के प्रति समर्पण को ले कर प्रवचन दिया.
इस तीन दिवसीय सत्संग को सफल बनाने में सामाजिक संगठन में साधु यादव, माधव यादव, अशोक प्रसाद, जयप्रकाश कुमार, राजनंदन यादव, राकेश कुमार, ओमप्रकाश कुमार, संतोष कुमार, संजय कुमार, मनीष कुमार, हवेनदर यादव आदि लगे हुए थे.

'मनुष्य कर्म भूल कर विषय भोग में लिप्त हो चुके हैं, जिससे स्वर्गरूपी घर परिवार नरक बन चुका है': सत्संग का आयोजन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 20, 2019
Rating:

No comments: