'गुलाबी आँखें जो तेरी देखी, शराबी ये दिल हो गया': सिंहेश्वर महोत्सव में शब्बीर कुमार के गानों का सम्मोहन

मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर के मवेशी हाट मैदान में आयोजित तीन दिवसीय सिंहेश्वर महोत्सव का हुआ रोमांटिक अंदाज में समापन. तीन दिवसीय सिंहेश्वर महोत्सव का समापन बड़े ही चुलबुले व रंगीले अंदाज में मशहूर गायक शब्बीर कुमार ने अपनी गायकी से किया। 


निर्धारित समय से लगभग एक घंटा देर से जब वे मंच पर आए तो उनके चाहने वालों के सब्र का बांध टूट गया। फिर तो उन्होंने एक से बढ़कर एक गानों की झड़ी ही लगा दी। खासकर जैसे ही उन्होंने गुलाबी आंखे जो जो तेरी देखी, शराबी ये दिल हो गया, संभालो मुझको ओ मेरे यारों संभालना मुश्किल हो गया तो श्रोता भूल गए कि उन्होंने घंटे भर उनका इंतजार किया। 

इससे पूर्व उन्होंने अपनी गायकी की शुरुआत रफी साहब के गए गीत दर्दे दिल दर्दे जिगर दिल में जगाया आपने से की। इसके बाद अमिताभ बच्चन के लिए फ़िल्म मर्द में गाए अपनी गीत भी गाए। शब्बीर कुमार ने अलग-अलग गीत गाकर प्रेमी युगलों को गुदगुदाया भी और मस्ती भरा एहसास भी कराया। ब्लू फायर इंटरटेनमेंट के बैनर तले आए गायकों के साथ गिटार पर चंदन, ऑर्गन पर राहुल, ढोलक पर नंदन, पैड पर रामबाबू और प्रितम, कांगो पर बिट्टू, ड्रम पर भवेश ने शानदार संगत दिया गया। जबकि उद्घोषक मनोज भारती और एमके सौरभ कुमार ने गायकों और श्रोताओं के बीच बखूबी सूत्र पिरोने का काम किया। 

नीलम के 45 मिनट के कत्थक नृत्य को एकटक देखते रहे दर्शक

नीलम चौधरी वैसे तो 35वीं बैच की प्रशासनिक पदाधिकारी और उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त हैं, पर सिंहेश्वर महोत्सव के मंच पर लोग उनके कत्थक नृत्य के दीवाने हो गए। आंखों से शब्दों को कहने की नृत्य की इस खास शैली कत्थक का लोगों ने लगातार 45 मिनट तक आंनद उठाया।कार्यक्रम समाप्ति के बाद श्रीमति चौधरी ने मैथिली में लोगों को संबोधित करते हुए मंच से कहा भी कि वे कार्यालय में बहुत कुछ हैं, पर यहां वे अपनी कला का प्रदर्शन करने आई। यह सुनते ही श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से अपने भावनाओं को व्यक्त किया। उनकी टीम में शामिल सुब्रत पंडित, साहिद आलम, पिपासा सेन, संदीप सरकार, संस्कृति सुमन,  मो. सारिक ने उनका भरपूर साथ दिया।

जायत्री और एस कुमार ने भी लोगों को खूब गुदगुदाया

इससे पूर्व उनकी सह गायिका इंडियन आइडल फेम जायत्री चंदा ने कार्यक्रम की शुरुआत राम तेरी गंगा मैली हो गई पापियों के पाप धोते-धोते गाने से की। अपनी ही आवाज में गाना गाकर उन्होंने माहौल को बांधने का प्रयास किया। इसके बाद उन्होंने ओ मेरे सोना रे सोना..गाकर श्रोताओ को थोड़ा उत्तेजित किया। दूसरे गायक एस कुमार ने किशोर दा के मेलोडीयस गीत छूकर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा, मेरा दिल भी कितना पागल है, ओ मेरे साजन, एक अजनवी हसीना से यू मुलाकात हो गई गाकर लोगों के दिल मे अपनी जगह बनाई। कहना यह कि श्रोताओं को बांधे रखने के लिए सिलसिलेवार गायिकी से दोनों ही कलाकारों ने सम्मोहित का कर दिया। 

कामरूप असम के भावटिया ग्रुप के कलाकारों ने बिहु नृत्य का अद्भुत संगम पेश किया जिसमें हजोंग जनजाति का, तीवा जनजाति और बोडो आदिवासियों के समावेश दिखाई दिया । नृत्य में गौतम कुमार दास,चिंटु, मैना, अंकिता,डोली, जुरी, अनामिका,रुपलिमा, ज्योति  ने साथ दिया । उसके स्थानीय गायिका चंदा रानी नेता  लोक नृत्य प्रस्तुत किया । पैजनिया बोल देख देख मेरे एक एक घुंघरू का भेद तुम खोल। ऐसा कोई गीत सुना दे जीवन का संगीत सुना दे । पैजनिया बोल ने दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ी । एक और स्थानीय गायिका उभरती हुई गायिका शिवाली ने इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों है, इन आंखों से वाबसस्ता अफसाने हजारों है गाकर दर्शकों की तालियां बटोरने में कामयाब रही.

'गुलाबी आँखें जो तेरी देखी, शराबी ये दिल हो गया': सिंहेश्वर महोत्सव में शब्बीर कुमार के गानों का सम्मोहन 'गुलाबी आँखें जो तेरी देखी, शराबी ये दिल हो गया': सिंहेश्वर महोत्सव में शब्बीर कुमार के गानों का सम्मोहन Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 11, 2019 Rating: 5

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