श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का अंतिम दिवस: रूक्मिणी विवाह के प्रसंग का सुन्दर चित्रण

मधेपुरा जिला के मुरलीगंज स्थित गोल बाजार के निकट मवेशी अस्पताल मैदान परिसर में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय श्रीमदभागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिवस "सर्वश्री आशुतोष महाराज जी" की शिष्या भागवताचार्या साध्वी सुश्री कालिन्दी भारती जी ने रूक्मिणी विवाह के प्रसंग का उल्लेख किया। 


इस प्रसंग में उन्होंने रूक्मिणी रूपी जीवात्मा का अपने प्रभु प्रियतम के प्रति विरह दर्शाया। साथ ही, यह भी प्रकट किया गया कि कैसे इस आत्मा की पुकार पर वह परम आत्मा प्रभु उसे समस्त बंधनों से स्वतंत्र कर अपने कभी न टूटने वाले प्रणय-सूत्रों में बांध लेते हैं। कथा का समापन करते हुए विदुषी जी ने कहा कि राजा परीक्षित असुरक्षा से ग्रस्त थे। जिनके समक्ष हर क्षण मौत मुँह बाए खड़ी थी। उन्होंने भागवत कथा श्रवण की, पर परीक्षित की मुक्ति केवल हरि चर्चा या कृष्ण लीलाओं का श्रवण करने मात्र से नहीं हुई थी, अपितु पूर्ण गुरु श्री सुखदेव जी महाराज के द्वारा प्रभु के तत्व रूप को अपने अंदर जान लेने पर ही हुई थी। शास्त्रानुसार 
 "भिद्यते हृदय ग्रंथी सछिद्यन्ते सर्व संशयाः"
हृदय की ग्रंथि अर्थात अज्ञानता व सभी संशयों  का नाश गुरु द्वारा दिव्य नेत्र प्राप्त होने पर ही होता है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन का मोह व मोहजनित संशय नष्ट करने हेतु भी उससे यही कहा था- "दिव्यं ददामि ते चक्षु पश्यमेयोगमैश्वरम्" 
अर्थात मैं तुझे दिव्य चक्षु प्रदान करता हूँ। दिव्य चक्षु से परमात्मा के शास्वत स्वरूप का दर्शन करते ही उसकी समस्त दुर्बलताएं ऐसे विलीन हो गई, जिस प्रकार सूर्य के उदित होने पर कुहासा छट जाता है। राजा परीक्षित को भी सुखदेव ने ब्रम्ह ज्ञान प्रदान कर, दिव्य नेत्र जागृत कर, उनके लिए मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया था। 

अंत में साध्वी जी ने बताया कि आज दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में सर्व श्री आशुतोष महाराज जी द्वारा ब्रह्म ज्ञान प्राप्त कर असंख्य लोगों ने परीक्षित की तरह ही मुक्ति के मार्ग को पाया है। इस प्रकार संस्थान आज विश्व शांति, बंधुत्व व एकता की स्थापना की ओर बढ़ रहा है। संस्थान व आयोजकों की ओर से भागवत महापुराण नवाह ज्ञान यज्ञ के आयोजन में कथा पंडाल से गोल बाजार तक खचाखच भरे श्रद्धालुओं के भारी संख्या में सम्मिलित होने के लिए क्षेत्रवासियों का धन्यवाद करते हुए सुश्री भारती जी ने कहा कि क्षेत्र निवासियों का यह सहयोग चिरस्मरणीय रहेगा। संस्थान सभी को ब्रह्मज्ञान प्राप्ति हेतु आमंत्रित करता है वह भविष्य में ऐसे ही सहयोग की अभिलाषा करता है। इस कथा की मार्मिकता और रोचकता से प्रभावित होकर अपार जनसमूह के साथ-साथ शहर के विशिष्ट नागरिक भी इन कथा प्रसंगों को श्रवण करने के लिए पधारें।

"श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ" में भाव विभोर करने वाले मधुर संगीत से ओत-प्रोत भजन संकीर्तन को श्रवण कर भक्त श्रद्धालु मंत्रमुग्ध होकर झूमने को मजबूर हो गए।
कथा की इस अंतिम सभा में शहरवासियों ने दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के सभी साधु समाज का धन्यवाद किया। सन्मान स्वरूप शहर की विभिन्न धार्मिक संस्थाओ ने सभी साधु समाज को वस्त्र एवं माला अर्पण किये एवं मुरलीगंज की धरती पर पुनः ऐसे ही कार्यक्रम के लिए प्रार्थना की।
समापन दिवस के आरती में श्री शेखर एण्ड कम्पनी झील चौक मुरलीगंज, श्रीमती उषा देवी पति स्व. बसंत चौधरी, चूड़ा मील झील चौक, मुरलीगंज, श्री दिलीप चौधरी एवं श्रीमती रीना जयसवाल झील चौक, मुरलीगंज पवन अग्रवाल एवं श्रीमती लक्ष्मी देवी, वार्ड नं.9, मुरलीगंज श्री रूपेश कुमार गुलटेन, जिला अध्यक्ष युवा (जदयू) एवं श्रीमती स्नेहा कुमारी ग्राम रामपुर मुरलीगंज, उदय चौधरी वार्ड नं. 6 मुरलीगंज, माता मीना देवी पति स्वर्गीय रामधारी यादव वार्ड नंबर 1 काशीपुर मुरलीगंज, आदि  विशिष्ट अतिथिगण आरती में सम्मिलित हुए।

कथा के अंत और आरती से पहले स्वामी श्री यादवेन्द्रानंद जी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापन किया। 

उन्होंने सबसे पहले उस परम् पिता परमेश्वर व सर्वश्री आशुतोष महाराज जी को धन्यवाद किया जिनके असीम कृपा से ये दिव्य कार्यक्रम सफल हुआ। तत्पश्चात कथा व्यास साध्वी सुश्री कालिन्दी भारती जी एवं उनके सहयोगी टीम को धन्यवाद किया जिन्होंने उस परम कृपा को कथास्थल पर सुमधुर स्वरों में पिरोकर श्रोताओं को परोसा और उसके बाद स्वामी जी ने उन समस्त भक्त श्रद्धालुओं धन्यवाद किया जिन्होंने अनुकूल/ प्रतिकूल समय में भी नौ दिनों तक समय से पहुंचकर इस पावन कथा का रसपान किया। स्व.गया प्रसाद साह परिवार को भी बहुत-बहुत धन्यवाद जिन्होंने कथा के लिए आधार रुप में भूमि प्रदान किया। सभी इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के सभी पत्रकार बंधुओं को धन्यवाद किया। जिन्होंने मुरलीगंज के आवाज को कई जिलों में घर-घर तक पहुँचाने का काम किया। 

तत्पश्चात उन्होंने मुख्य यजमान, उत्सव यजमान एवं सभी दैनिक यजमान,सभी सहयोगी बंधुओं एवं कार्यकारिणी समिति के सभी सदस्यों,सभी कार्यकर्ताओं, दिव्य ज्योति परिवार, युवा परिवार सेवा समिति व नारीशक्ति को भी बहुत-बहुत धन्यवाद! जिनके दिन-रात मेहनत व अथक प्रयास से कार्यक्रम सफल हुआ।
उन सभी को भी बहुत बहुत धन्यवाद! जिन्होंने कथा टीम, कार्यकर्ता,सेवादार व संगत को  ठहराने के लिए हमें जगह दिया।
श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का अंतिम दिवस: रूक्मिणी विवाह के प्रसंग का सुन्दर चित्रण श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का अंतिम दिवस: रूक्मिणी विवाह के प्रसंग का सुन्दर चित्रण Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on December 23, 2018 Rating: 5

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