'शरद जी ने बी. पी. मंडल, लोहिया और जेपी की राजनीति को क्लेम किया है. उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे भ्रष्टाचारियों के साथ नहीं हैं और वे परिवारवादी नहीं हैं.
पर जिस तरह शरद यादव के पुत्र शांतनु बुंदेला लन्दन से पॉलिटिक्स पढ़कर सीधे पैराशूट से मधेपुरा उतरे हैं और मधेपुरा लोकसभा धूम रहे हैं और शरद यादव उसे प्रमोट कर रहे हैं. ऐसे में लग रहा है कि वे पुरानी चीजों को दरकिनार कर अपने पुत्र को स्थापित करने में लगे हुए हैं. शरद जी खुद कहा करते थे कि ऐसे लोग गमले की खेती होते हैं. और आज खुद शरद जी गमले की खेती में पानी डाल रहे हैं.'
ऐसा कहना है बिहार जदयू के प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल का. मधेपुरा टाइम्स से ख़ास बातचीत में उन्होंने कहा कि शरद जी परिवारवाद में फंस गए हैं, उनके दामाद, समधी सभी यहाँ आते हैं, लेकिन मधेपुरा लोकसभा में ऐसे किसी भी व्यक्ति का दाल गलने वाला नहीं है.
मधेपुरा टाइम्स के इस प्रश्न पर कि परिवारवाद से तो आप भी घिरे हुए लगते हैं क्योंकि आपके पिता विधायक थे और आपके दादा स्व० बी० पी० मंडल भी मंडल आयोग के जनक और पूर्व मुख्यमंत्री थे, निखिल मंडल ने कहा कि ये आरोप मुझपर लग सकता है. पर मैं इसपर दो तीन बातें कहना चाहता हूँ. सबसे पहले मुझे इस बात पर फख्र है कि मैं बी० पी० मंडल का पोता हूँ और मेरी रगों में बी० पी० मंडल का खून दौड़ता है.
दूसरी बात कि जहाँ तक राजनीति में आने की बात है तो मैं वर्ष 1999 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मैं स्टूडेंट युनियन का चुनाव लड़ा और जीत के जेनरल सेक्रेटरी बना था. इस तरह आप कह सकते हैं कि मैं लगभग 20 साल से राजनीति में हूँ, जिस तरह नीतीश जी छात्र जीवन से राजनीति में हैं. 11 साल जदयू में देने के बाद वर्ष 2016 में मुझे प्रदेश प्रवक्ता बनाया गया. मेरी भूमिका अलग है. मैं 20 साल से राजनीति में हूँ. परिवार की परिभाषा यदि देखि जाय तो उन लोगों पर है जिनकी राजनीति में पहले कोई भूमिका या सक्रियता नहीं है और जो क्षेत्र में नहीं है, लोगों को पहचानते नहीं है. वे अचानक टिकट लेकर आते हैं और पिता या परिवार की बदौलत चुनाव लड़ना चाहते हैं. मुझे उस सन्दर्भ में अलग देखा जाना चाहिए.
पर जिस तरह शरद यादव के पुत्र शांतनु बुंदेला लन्दन से पॉलिटिक्स पढ़कर सीधे पैराशूट से मधेपुरा उतरे हैं और मधेपुरा लोकसभा धूम रहे हैं और शरद यादव उसे प्रमोट कर रहे हैं. ऐसे में लग रहा है कि वे पुरानी चीजों को दरकिनार कर अपने पुत्र को स्थापित करने में लगे हुए हैं. शरद जी खुद कहा करते थे कि ऐसे लोग गमले की खेती होते हैं. और आज खुद शरद जी गमले की खेती में पानी डाल रहे हैं.'
ऐसा कहना है बिहार जदयू के प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल का. मधेपुरा टाइम्स से ख़ास बातचीत में उन्होंने कहा कि शरद जी परिवारवाद में फंस गए हैं, उनके दामाद, समधी सभी यहाँ आते हैं, लेकिन मधेपुरा लोकसभा में ऐसे किसी भी व्यक्ति का दाल गलने वाला नहीं है.
मधेपुरा टाइम्स के इस प्रश्न पर कि परिवारवाद से तो आप भी घिरे हुए लगते हैं क्योंकि आपके पिता विधायक थे और आपके दादा स्व० बी० पी० मंडल भी मंडल आयोग के जनक और पूर्व मुख्यमंत्री थे, निखिल मंडल ने कहा कि ये आरोप मुझपर लग सकता है. पर मैं इसपर दो तीन बातें कहना चाहता हूँ. सबसे पहले मुझे इस बात पर फख्र है कि मैं बी० पी० मंडल का पोता हूँ और मेरी रगों में बी० पी० मंडल का खून दौड़ता है.
दूसरी बात कि जहाँ तक राजनीति में आने की बात है तो मैं वर्ष 1999 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान मैं स्टूडेंट युनियन का चुनाव लड़ा और जीत के जेनरल सेक्रेटरी बना था. इस तरह आप कह सकते हैं कि मैं लगभग 20 साल से राजनीति में हूँ, जिस तरह नीतीश जी छात्र जीवन से राजनीति में हैं. 11 साल जदयू में देने के बाद वर्ष 2016 में मुझे प्रदेश प्रवक्ता बनाया गया. मेरी भूमिका अलग है. मैं 20 साल से राजनीति में हूँ. परिवार की परिभाषा यदि देखि जाय तो उन लोगों पर है जिनकी राजनीति में पहले कोई भूमिका या सक्रियता नहीं है और जो क्षेत्र में नहीं है, लोगों को पहचानते नहीं है. वे अचानक टिकट लेकर आते हैं और पिता या परिवार की बदौलत चुनाव लड़ना चाहते हैं. मुझे उस सन्दर्भ में अलग देखा जाना चाहिए.
'शरद यादव परिवारवाद के शिकार हैं, मुझ पर परिवारवाद का आरोप सही नहीं': निखिल मंडल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 28, 2018
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!['शरद यादव परिवारवाद के शिकार हैं, मुझ पर परिवारवाद का आरोप सही नहीं': निखिल मंडल](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEisjHuC56O4jwPAM8k-MrC3l4Q6aAVHS-bMirYUAXRo2r_LQCFDzzQUARZwh3lbtSlL-FAnhrfAqhUwpIi_EeTwaDgf8SxDJpSPqRFgrFcj-NS_xkiU7sV4STQw6VL7kGcfaMJ_dRj9fA8/s72-c/Nikhil+Mandal.jpg)
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