
सेमिनार का उद्घाटन बिहार सरकार के पूर्व आपदा मंत्री व मधेपुरा विधायक प्रो.
चंद्रशेखर, बी.एन.एम्.यू मधेपुरा के कुलसचिव नरेंद श्रीवास्तव, समाजशास्त्र
संकाय अध्यक्ष डॉ शिवमुनि यादव, डी.एस.डब्लू. डॉ अनिलकांत
मिश्रा, उप कुल सचिव एकादमिक डॉ. आई.के.रहमान आदि ने संयुक्त
रूप से दीप प्रज्ज्वलित करके किया.
सेमिनार को संबोधित करते हुए उद्घाटनकर्ता प्रो. चंद्रशेखर ने कहा कि माया का
प्रयास सहरानीय है. मनुष्य शरीर पञ्च तत्वों से बना हैं जिसमें जल का स्थान सबसे
पहला है. आदि काल से समुदाय का विकास नदी के किनारे ही होता आ रहा है, अतः जल संरक्षण
मानव सभ्यता के लिए जरुरी है. मधेपुरा के सापेक्ष्य में नदी संरक्षण और उससे जुडी
समस्याओं पर चर्चा और सेमिनार यह साबित करता हैं कि माया से जुड़े युवा विकसित
मधेपुरा के भविष्य को लेकर कितने चिंतित हैं. उन्होंने बिहार में माया के नदी नीति
बनाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि वे आगामी सत्र में नदी नीति बनाने के लिए
विधान सभा मे आवाज उठाएंगे और सरकार के संकल्प में शामिल करने का प्रस्ताव रखेंगे.
मुख्य अतिथि कुलसचिव नरेंद श्रीवास्तव ने कहा कि मधेपुरा तेजी से शहरीकरण की
ओर बढ़ रहा है. नदी संरक्षण के साथ कोशी के विशेष जीव-जन्तु का संरक्षण भी आवश्यक
है. उन्होंने सरकार को नदी का बहाव क्षेत्र चिन्हित कर वन्य
जीव अभ्यारण्य के रूप मे नदी क्षेत्र को विकसित करने की मांग पर बल दिया. उन्होंने
कहा कि रेलवे कारखाना, मेडिकल कालेज आदि से उत्पन्न होने
वाले कचरा और उसके नदियों पर असर का भी अध्ययन होनी चाहिए. वैसे माया का समानांतर
नदी संरक्षण प्रयास सकारात्मक पहल है.
विषय प्रवेश करवाते हुए माया संरक्षक संदीप शांडिल्य ने मुंबई स्थित इंदु
कुमारी झा द्वारा बनाया गया वीडियो प्रंजेटेशन और गूगल मैप के आधार पर साल दर साल
मधेपुरा के नदी किनारे के क्षेत्र मे हो रहे निर्माण कार्य पर लोगों का ध्यान
आकृष्ट कराया. उन्होंने मधेपुरा के नदी संरक्षण के तीन बिन्दुओं को सामने रखा 1. नदी
के गर्भ भाग को प्रशासन चिन्हित करें और वहां नव निर्माण रोक लगाते हुए नदी को
संरक्षित करे. ताकि बाढ़ या बारिश के समय जान माल का कम से कम नुकसान हो और नदी की
धारा अपने प्राकृतिक प्रवाह मे बहते रहे. 2. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा देश
के अलग अलग राज्यों मे नदी के गर्भ अलग-अलग दूरी को प्रतिबंधित घोषित किया गया हैं
जिसके अन्दर किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं हो सकता हैं. सामान्यतः हर राज्य मे
नदी गर्भ से 100 मीटर के दूरी को नो कंस्ट्रक्शन जोन के अंतर्गत रखा गया है. बिहार
राज्य में अभी तक इसकी सीमा निर्धारित नहीं किया गया है मगर हर जिला के जिलाधिकारी
को यह अधिकार है कि वो अपने जिला के नदियों का गर्भ क्षेत्र निर्धारित करे और उसके
अन्दर होने वाले नए निर्माण को रोके. 3. शिल्ट के कारण जहाँ नदी का बहाव रुका हैं
वहाँ स्क्रू बांध का निर्माण कर पुनः नदी मे पानी भेजा जा सकता हैं. बाढ़ के समय
जहाँ पानी को अपना प्राकृतिक प्रवाह मिलेगा वही सालो भर पानी रहने से किसानों को
सिंचाई के लिए पानी मिलेगी. साथ ही नदी का प्रवाह चालू होने से इस इलाके को पर्यटन
के लिए विकसित किया जा सकता हैं. इस मृत नदी के जीवित होने से मधेपुरा इंजीनिरिंग
कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, यूनिवर्सिटी, रेलवे
इंजन कारखानों के लिए फेरी सेवा की शुरुवात की जा सकती हैं. नगर परिषद क्षेत्र का पूर्वी हिस्सा और नदी भी पूर्वी हिस्सा जो अभी भी नव
निर्माण से बचा हुआ हैं वहाँ रिवर फ्रंट के कल्पना को मूर्त रूप दिया जा सकता हैं.
मुख्य वक्ता डॉ. शिव मुनि यादव ने कोशी के स्वभाव और उसके प्रकृति पर विस्तार
से प्रकाश डाला. इस मौके सिंहेश्वर प्रमुख प्रतिनिधि जय प्रकाश यादव ने सिंहेश्वर
मंदिर के उत्तर बहने वाली नदी को मनरेगा से साफ करवाने का भरोसा दिया. सेमिनार को
भाजपा अध्यक्ष स्वदेश यादव, हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार चौधरी आदि ने संबोधित किया.
कार्यक्रम मे पूर्व वार्ड पार्षद ध्यानी यादव, मुन्ना कुमार, वार्ड
पार्षद गोनर ऋषिदेव, उषा देवी, सिंहेश्वर
प्रमुख चन्द्रकला देवी, पंचायत समिति सदस्य मो. इस्तियाक आलम,
अर्थशास्त्र विभाग की प्राध्यापक डॉ. प्रज्ञा प्रसाद, डॉ. आर.के.पी. रमण, समाजसेवी पंकज कुमार, सुधांशु कुमार, मनीष कुमार, भाजपा
प्रवक्ता हर्ष सिन्धु, अमित गौतम आदि उपस्थित थे.
सेमिनार में स्वागत भाषण माया अध्यक्ष राहुल यादव ने सभी अतिथियों का स्वागत
करते हुए उन्हें पुष्पगुच्छ प्रदान किया. सेमिनार का संचालन माया संरक्षक
तुरबसु शचीन्द्र ने किया धन्यवाद ज्ञापन संरक्षक धमेंद्र सिंह ने किया. सेमिनार का
अध्यक्षता भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुभाष झा ने किया.

नदी नीति बनाने को उठेगी विधानसभा में आवाज: मधेपुरा में नदी संरक्षण पर सेमिनार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 16, 2018
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