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साथ ही वहीँ पुराने
पुल के दक्षिण भी पीपा पुल बना हुआ है। इस प्रकार यहाँ दो पुल बने हुए हैं और
तीसरा निर्माणाधीन है। पर जलकुम्भी का निरंतर बहकर आ रहा झुण्ड यहाँ खतरा पैदा कर
रहा है ।
स्थिति यह है कि लगभग आधा किलो मीटर तक पुल के पूरब जलकुम्भी का झुण्ड जमा है जिसका दवाब
पुराने स्क्रू पाइल पुल पर बढ़ता ही जा रहा है ।
जलकुम्भी
से पुल पर खतरे को अनदेखी करने का नतीजा
पूर्व में मधेपुरावासी भुगत चुके हैं जबकि इसी दवाब के कारण मतगजा (मुरलीगंज जाने
वाली सड़क में मानिकपुर से पश्चिम )का स्क्रू पाइल पुल टूट गया था और फ़िर बाढ़ 2008 में भारतीय सेना ने
तत्कालीन पुल बनाया था, जहाँ आज भी डायवर्शन पुल बना हुआ है ।
सुखासन
पुल के पास समस्या यह है कि अगर जलकुम्भी को पुल से काट काट कर बहाया भी जाय तो
आगे पीपा पुल है जो उसे पश्चिम जाने नही
देगा । ऐसी स्थिति में एक ही चारा बचता है कि जमा जलकुम्भी को नदी के दोनो किनारों
पर खींच खींच कर जमा किया जाय जो श्रम साध्य और अधिक खर्चीला होगा । लेकिन जानकार
लोग बताते हैं कि वहाँ पौक्लेन से जलकुम्भी को नदी किनारे खींच कर आसानी से बाहर
निकाला जा सकता है ।
बहरहाल
स्थिति भयावह है और अगर कहीँ पुरानी पुल टूट गया तो सुखासन सहित सहरसा जिले के
पत्तरघट और सोनबरसा प्रखंड के लोगो को आवागमन में भारी कठिनाई होगी। स्थानीय लोगो
का यह भी कहना है कि अभी तक कोई वरीय पदाधिकारी को विभाग के लोगों ने सूचना तक नही
दिया है ।
मधेपुरा: सुखासन पुल पर मंडरा रहा खतरा, कुम्भी के दवाब से कभी भी टूट सकता है पुल
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 05, 2017
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