
उन्होंने कहा साधन धाम मोक्ष कर द्वारा पाई न जेइ परलोक सँवारा। कहने का मतलब मानव शरीर हीं एक ऐसा माध्यम है,जिसके सहारे हम भगवत भजन कर सकते हैं। इसी शरीर के सहारे दिशा को सुधार कर हम अपनी दशा को सुधार सकते हैं। जिन्होंने अपने जीते जी ऐसा कर लिया वे अपना सबकुछ सुधार लिए। अनुभव बाबा ने कहा कि आवागमन सम दुःख दूजा है नहीं जग में कोई, आखिर किस कारण हम उस दुःख को भोग रहे हैं, उसका पता करना है। बाबा रामलाल ब्रह्मचारी ने कहा कि शुभ काम को शीघ्रता से पूरा करना चाहिए। सत्संग लोगों को बड़े भाग से मिलता है। यह शरीर योग व भजन करने को मिला है। इसे जितना जल्दी हो प्राप्त कर आरंभ कर देना चाहिए।समारोह की शुरुआत चमेली देवी सरस्वती शिशु मंदिर की छात्राओं के द्वारा स्वागत गान से किया गया। इसके पश्चात आयोजन कर्ता प्रहलाद जी व अन्य के द्वारा संतो का स्वागत फूल माला पहना कर किया गया।
(रिपोर्ट: रानी देवी)
‘मनुष्य शरीर के समान कोई दूसरा शरीर नहीं’: स्वामी चतुरानंद जी महाराज
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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May 17, 2017
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