सहरसा कटिहार के बीच मधेपुरा जिले में मुरलीगंज के पास पुल संख्या 100 बलुआहा रेलवे पुल से पच्चीस मीटर पूर्व की ओर सहरसा मुरलीगंज के बीच दीनापट्टी हाल्ट के निकट बलुआहा में बढ़ते जलस्तर से रेलवे ट्रेक पर कटाव का खतरा मंडरा रहा हैं. बता दें कि एक बार फिर सुरसर नदी में जलस्तर के वृद्धि के कारण बलुआहा नदी में फिर जल से वृद्धि हुई.
रेलवे ट्रैक के महज आधे मीटर की दूरी पर भूमि का बहुत बड़ा भू-भाग जल समाधि ले चुका है. नदी के बहाव की दिशा में गाद व बालू के जमा होने की वजह से बलुआहा ने अपना रूख बदलने की कोशिश की. अब नदी रेलवे पुल से सौ मीटर पुरब की ओर खिसक कर चली गयी है, जिसके कारण पानी के बहाव का सीधा दबाव रेलवे ट्रैक पर पर रहा है. पूर्व निर्मित रेलवे पुल के ठीक सामने बने नये पुल के सीध में अब बलुआहा की धारा नही है, वह अब कटाव स्थल के ठीक सामने से मुड़कर रेलवे पुल को पार करती है. जिसके कारण स्वाभाविक रूप से दबाव कटाव स्थल पर पड़ता नजर आ रहा है.
जानकारों का कहना है कि नये पुल निर्माण के बाद 2008 में आए प्रलयकारी बाढ़ के बाद अमान परिवर्तन के दौरान बलुआहा नदी पर नया रेल ट्रैक बनाया गया. लेकिन नदी की धार से ट्रैक को सुरक्षित रखने के लिए बोल्डर क्रेटिंग नही की गयी थी. उसी कटाव को रोकने के लिए कुछ दिनों पूर्व भी रेलवे सभी वरीय अभियंता कनीय अभियंता सहित अनेक कर्मचारियों ने अथक प्रयास किया था, पर शायद नदी के जल प्रवाह की दिशा परिवर्तन के कारण अधूरी सफलता मिली थी. पुनः कटाव वृहत पैमाने पर शुरू होने से एक बार फिर बोल्डर को तार जाली में डालकर ट्रैक को बचाने का प्रयास पुनः शुरू किया गया है. कटाव जारी रहने पर इस रेलमार्ग पर रेल परिचालन कहीं बंद न करना पड़े. इस कारण फिर ट्रैक को बचाने की कवायद तेज करनी पड़ी.
शनिवार सुबह से रेलवे के 25 कर्मचारी के साथ कटाव स्थल पर कैम्प कर रहे एस एस सी मधेपुरा सुनील कुमार ने बताया कि हम अहले सुबह से ट्रैक को बचाने का प्रयास कर रहे है, क्योंकि कल शाम से जल स्तर मे वृद्धि के बाद कटाव फिर शुरू हुआ है. हमारे साथ सीनियर सेक्शन इंजिनियर सहरसा अजय कुमार भी अपनी निगरानी में ट्रैक मेन्टर नितेश कुमार अपने 25 रेलवे कर्मचारी के साथ कटाव स्थल पर ट्रैक बचाने के लिए प्रसासरत थे.
रेलवे ट्रैक के महज आधे मीटर की दूरी पर भूमि का बहुत बड़ा भू-भाग जल समाधि ले चुका है. नदी के बहाव की दिशा में गाद व बालू के जमा होने की वजह से बलुआहा ने अपना रूख बदलने की कोशिश की. अब नदी रेलवे पुल से सौ मीटर पुरब की ओर खिसक कर चली गयी है, जिसके कारण पानी के बहाव का सीधा दबाव रेलवे ट्रैक पर पर रहा है. पूर्व निर्मित रेलवे पुल के ठीक सामने बने नये पुल के सीध में अब बलुआहा की धारा नही है, वह अब कटाव स्थल के ठीक सामने से मुड़कर रेलवे पुल को पार करती है. जिसके कारण स्वाभाविक रूप से दबाव कटाव स्थल पर पड़ता नजर आ रहा है.
जानकारों का कहना है कि नये पुल निर्माण के बाद 2008 में आए प्रलयकारी बाढ़ के बाद अमान परिवर्तन के दौरान बलुआहा नदी पर नया रेल ट्रैक बनाया गया. लेकिन नदी की धार से ट्रैक को सुरक्षित रखने के लिए बोल्डर क्रेटिंग नही की गयी थी. उसी कटाव को रोकने के लिए कुछ दिनों पूर्व भी रेलवे सभी वरीय अभियंता कनीय अभियंता सहित अनेक कर्मचारियों ने अथक प्रयास किया था, पर शायद नदी के जल प्रवाह की दिशा परिवर्तन के कारण अधूरी सफलता मिली थी. पुनः कटाव वृहत पैमाने पर शुरू होने से एक बार फिर बोल्डर को तार जाली में डालकर ट्रैक को बचाने का प्रयास पुनः शुरू किया गया है. कटाव जारी रहने पर इस रेलमार्ग पर रेल परिचालन कहीं बंद न करना पड़े. इस कारण फिर ट्रैक को बचाने की कवायद तेज करनी पड़ी.
शनिवार सुबह से रेलवे के 25 कर्मचारी के साथ कटाव स्थल पर कैम्प कर रहे एस एस सी मधेपुरा सुनील कुमार ने बताया कि हम अहले सुबह से ट्रैक को बचाने का प्रयास कर रहे है, क्योंकि कल शाम से जल स्तर मे वृद्धि के बाद कटाव फिर शुरू हुआ है. हमारे साथ सीनियर सेक्शन इंजिनियर सहरसा अजय कुमार भी अपनी निगरानी में ट्रैक मेन्टर नितेश कुमार अपने 25 रेलवे कर्मचारी के साथ कटाव स्थल पर ट्रैक बचाने के लिए प्रसासरत थे.
मधेपुरा: बलुआहा नदी ने बदला अपना रास्ता, रेलवे ट्रैक पर बढ़ा दवाब, खतरा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 04, 2016
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