सिंहेश्वर महोत्सव का समापन: भक्ति गीतों और स्थानीय संस्कृति के समागम से यादगार बना महोत्सव

सिंहेश्वर महोत्सव बिना किसी अप्रिय घटना के शांति एवं सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. तीन दिनों तक सिंहेश्वर मवेशी हाट का मैदान भक्ति रस में डूबा रहा. लोग भक्ति गीतों के साथ-साथ स्थानीय संस्कृति के लाजवाब संयोजन का रस पान करते रहे. हालांकि समुचित प्रचार-प्रसार के अभाव में दर्शकों की उपस्थिति कम रहने के बावजूद उपस्थित दर्शकों का जोश और उनकी तालियों की गूंज ने कमी नहीं खलने दिया.
       कार्यक्रम की शुरुआत ‘हम त नाचव कन्हैया के संग रे...’ की रिकॉर्डिंग भक्ति गीत के साथ और ‘तेरी भक्ति का वरदान है श्री गणेशा’ के बाद स्कूल की नवोदित छात्राओं ने ‘मै बची रामजी के कृपा से’, ‘मैया यशोदा तेरा कन्हैया पकडे जो बहियाँ तंग मुझे करता तेरा कन्हैया’ ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया.’
         मैथिली लोक गायिका रंजना झा ने जब सुर का शमां बाँधा तो दर्शक हिल न सके. सुर साम्राज्ञी लोक गायिका ने ‘जय जय भैरव असुर भयावनी’, ‘गौरा तोर अंगना बडी अदभुद देखल तोर अंगना’, ‘जेहने किशोरी मोरी तेहने किशोर रे बिधना लगावें जोरी ऐहने बेजोड हो’ गाकर सिंहेश्वर महोत्सव को चार चांद लगा दिया. इसके अलावे ‘कान्हा जो आये पलट के अब के होरी खेलव मोहे डट के’, ‘बाबा नेने चलिहो अपन नगरी हो सिंहेश्वर नगरी’, ‘हो माई हम न बियाहब गे गौरा के ई वर हो’, ‘दमा दम मस्त कलंदर अली का का पहला नंबर हो लाल मेरे’ आदि गीतों पर तालियों की गडगडाहट होती रही.
         कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग करने वाले सभी लोगों को डीएम मो. सोहैल ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
सिंहेश्वर महोत्सव का समापन: भक्ति गीतों और स्थानीय संस्कृति के समागम से यादगार बना महोत्सव सिंहेश्वर महोत्सव का समापन: भक्ति गीतों और स्थानीय संस्कृति के समागम से यादगार बना महोत्सव Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 10, 2016 Rating: 5

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