मानव का तन प्राप्त कर मनुष्य को पिण्ड से ब्रह्मांड की ओर ऊपर उठने का प्रयास आरंभ कर देना चाहिए ताकि मरणोपरांत यम के फंदे से बचा जा सके.
उक्त बाते संतमत सत्संग के एक दिवसीय आयोजन के दौरान बाबा अरविन्द महाराज ने बिहारीगंज राम बाग में कही. उन्होंने कहा कि देवता को भी स्वर्ग लोक में सुख भोगने के पश्चात चौरासी लाख योनी के फंदे में जाकर अपने अपने कर्म के अनुसार दुःख भोगना पड़ता है. मानव शरीर ही ऐसा शरीर है जिसके माध्यम से आदमी आवागमन के चक्र से छूट सकता है, और परम पद को प्राप्त कर सकता है. यह तभी संभव होगा जब मनुष्य किसी योग्य गुरू के शरण में जाकर उनसे दीक्षा प्राप्त कर आवागमन के चक्र से छूटने का प्रयास आंरभ कर दे. उक्त आयोजन डा.मानिकचंद भगत के स्वर्गीय पिता की पुण्य तिथि के अवसर पर आयोजित किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया.
(रिपोर्ट: रानी देवी)
उक्त बाते संतमत सत्संग के एक दिवसीय आयोजन के दौरान बाबा अरविन्द महाराज ने बिहारीगंज राम बाग में कही. उन्होंने कहा कि देवता को भी स्वर्ग लोक में सुख भोगने के पश्चात चौरासी लाख योनी के फंदे में जाकर अपने अपने कर्म के अनुसार दुःख भोगना पड़ता है. मानव शरीर ही ऐसा शरीर है जिसके माध्यम से आदमी आवागमन के चक्र से छूट सकता है, और परम पद को प्राप्त कर सकता है. यह तभी संभव होगा जब मनुष्य किसी योग्य गुरू के शरण में जाकर उनसे दीक्षा प्राप्त कर आवागमन के चक्र से छूटने का प्रयास आंरभ कर दे. उक्त आयोजन डा.मानिकचंद भगत के स्वर्गीय पिता की पुण्य तिथि के अवसर पर आयोजित किया गया. जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया.
(रिपोर्ट: रानी देवी)
'मनुष्य पिण्ड से ब्रह्मांड की ओर ऊपर उठने का प्रयास करे': बाबा अरविन्द महाराज
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 12, 2015
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