भले ही हम लाख विकास और समृद्धि का दावा करें, पर हकीकत यही भी है कि भारत में ऐसे करोड़ों लोग हैं जिन्हें दो जून की रोटी मयस्सर नहीं है. मधेपुरा जिले में हुई इस व्यक्ति की मौत के बाद पुलिस ये भी नहीं पता कर सकी कि मरा हुआ व्यक्ति था कौन?
मधेपुरा जिले के मुरलीगंज के वार्ड संख्यां 08, आदर्श नगर टोला में एक 55 वर्षीय ज्ञात व्यक्ति का शव मिला है. लोगों ने बताया कि मृतक कुछ दिनो से मुरलीगंज में घूम-घूम कर भीख मांगकर पेट पाल रहा था. लोगों का यह भी कहना था कि मृतक मानसिक रूप से अपंग था, जिस कारण न ही उसके रहने का ठिकाना था और न ही सोने का. व्यक्ति आदर्श नगर टोला में ही आम के बगीचा के निकट रहता था और भूख लगने पर आसपास के लोगों से ही मांगकर खा लेता था. लेकिन शुक्रवार की रात जब वह बगीचा में सोया तो फिर नींद इतनी गहरी कि वह जग न सका. यह 'अनाम' इस मतलबी दुनियां को सदा के लिए छोड़ चुका था.
मौके पर पहुँचे थानाध्यक्ष ने मृतक बारे मे लोगों से जानने का प्रयास किया, लेकिन कुछ पता नही चलने पर शव को अपने कब्जे मे लेकर पोस्टमार्टम के लिए मधेपुरा सदर अस्पताल भेज दिया. थानाध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि मीडिया माध्यम से अगर मृतक के परिजन का पता चला तो शव को परिवार वालो को सौंप दिया जाएगा.
देखा जाय तो देश में प्रतिवर्ष ऐसी लावारिस मौतों की संख्यां काफी है जिनके परिवार के बारे में कोई पता नहीं चलता है. ये किसी संपन्न बेटे-बेटियों के पिता भी हो सकते हैं जिन्होंने माँ-बाप को भार समझकर यूं ही कहीं मरने को छोड़ दिया या फिर गरीबी ही इनकी किस्मत रही होगी. चुनाव सामने है, नेता और जनप्रतिनिधि टिकट की जुगाड़ में हैं ताकि अगले पांच साल मौज मार सकें. जाने दीजिए, ये लावारिस किसी के वोट बैंक नहीं हैं, इनकी परवाह कौन करता है?
(रिपोर्ट: अजय कुमार सिंह)
मधेपुरा जिले के मुरलीगंज के वार्ड संख्यां 08, आदर्श नगर टोला में एक 55 वर्षीय ज्ञात व्यक्ति का शव मिला है. लोगों ने बताया कि मृतक कुछ दिनो से मुरलीगंज में घूम-घूम कर भीख मांगकर पेट पाल रहा था. लोगों का यह भी कहना था कि मृतक मानसिक रूप से अपंग था, जिस कारण न ही उसके रहने का ठिकाना था और न ही सोने का. व्यक्ति आदर्श नगर टोला में ही आम के बगीचा के निकट रहता था और भूख लगने पर आसपास के लोगों से ही मांगकर खा लेता था. लेकिन शुक्रवार की रात जब वह बगीचा में सोया तो फिर नींद इतनी गहरी कि वह जग न सका. यह 'अनाम' इस मतलबी दुनियां को सदा के लिए छोड़ चुका था.
मौके पर पहुँचे थानाध्यक्ष ने मृतक बारे मे लोगों से जानने का प्रयास किया, लेकिन कुछ पता नही चलने पर शव को अपने कब्जे मे लेकर पोस्टमार्टम के लिए मधेपुरा सदर अस्पताल भेज दिया. थानाध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि मीडिया माध्यम से अगर मृतक के परिजन का पता चला तो शव को परिवार वालो को सौंप दिया जाएगा.
देखा जाय तो देश में प्रतिवर्ष ऐसी लावारिस मौतों की संख्यां काफी है जिनके परिवार के बारे में कोई पता नहीं चलता है. ये किसी संपन्न बेटे-बेटियों के पिता भी हो सकते हैं जिन्होंने माँ-बाप को भार समझकर यूं ही कहीं मरने को छोड़ दिया या फिर गरीबी ही इनकी किस्मत रही होगी. चुनाव सामने है, नेता और जनप्रतिनिधि टिकट की जुगाड़ में हैं ताकि अगले पांच साल मौज मार सकें. जाने दीजिए, ये लावारिस किसी के वोट बैंक नहीं हैं, इनकी परवाह कौन करता है?
(रिपोर्ट: अजय कुमार सिंह)
यहाँ कौन है तेरा, मुसाफिर जाएगा कहाँ : ऐसे अज्ञात की मौत मुद्दा नहीं होते
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 19, 2015
Rating:
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 19, 2015
Rating:

No comments: