"हमें अपनों ने ही लूटा,
गैरों में कहाँ दम था,
मेरी कश्ती वहीँ डूबी,
जहाँ पानी कम था"
पर मधेपुरा नगर परिषद् क्षेत्र में अधिकांश जगह पानी कम नहीं है. आप अधिक पानी में भी लुट रहे हैं और कम पानी में भी. नगर परिषद् क्षेत्र इन दिनों बदहाल है. एक नजर में यदि आप नगर परिषद् क्षेत्र का भ्रमण करेंगें तो लगेगा कि शहर पर मो० गजनी का आक्रमण हुआ हो. लुटा-लुटा सा लगता है मधेपुरा. मुख्य सड़कों को जहाँ 'डूडा' ने लूटा और इसे खंडहर में तब्दील कर दिया, वहीँ मुहल्लों में लोग नालों में अपनी जिन्दगी गुजार रहे हैं. जी हाँ, नगर परिषद् क्षेत्र के कई क्षेत्रों में घर और नालों में फर्क नहीं रह गया है.
गैरों में कहाँ दम था,
मेरी कश्ती वहीँ डूबी,
जहाँ पानी कम था"
पर मधेपुरा नगर परिषद् क्षेत्र में अधिकांश जगह पानी कम नहीं है. आप अधिक पानी में भी लुट रहे हैं और कम पानी में भी. नगर परिषद् क्षेत्र इन दिनों बदहाल है. एक नजर में यदि आप नगर परिषद् क्षेत्र का भ्रमण करेंगें तो लगेगा कि शहर पर मो० गजनी का आक्रमण हुआ हो. लुटा-लुटा सा लगता है मधेपुरा. मुख्य सड़कों को जहाँ 'डूडा' ने लूटा और इसे खंडहर में तब्दील कर दिया, वहीँ मुहल्लों में लोग नालों में अपनी जिन्दगी गुजार रहे हैं. जी हाँ, नगर परिषद् क्षेत्र के कई क्षेत्रों में घर और नालों में फर्क नहीं रह गया है.
बानगी 1: वार्ड नं. 18 बाय पास रोड स्थित कम्प्यूटर संस्था समिधा ग्रुप परिसर अचानक गंदे पानी से भर उठता है. पता चलता है सड़क पर हाल में बने नालों की उंचाई घरों से ऊपर कर दी गई है. हाहाकार. जिला प्रशासन इस समस्या पर जहाँ हाथ खड़े कर देती है वहीँ नगर परिषद् पूर्व की तरह बेबस. संचालक संदीप शांडिल्य उस क्षण को कोसते हैं जब उन्होंने मधेपुरा को कम्प्यूटरीकृत बनाने का सपना देखते हुए यहाँ संस्था खोली थी.
बानगी 2: वार्ड नं. 17 लक्ष्मीपुर मुहल्ला में राय ब्रज कुमार सिन्हा तथा अन्य लोगों के परिसर में नाले का पानी अचानक भर जाता है और बाढ़ जैसा दृश्य उत्पन्न हो जाता है. यहाँ नाला जाम है, वो नाला जिसे कभी यहाँ के लोगों ने अपने खर्चे से बनाया था और बाद में आरोप के मुताबिक किसी ठेकेदार ने मरम्मत के नाम पर लाखों उठा लिए और मामूली टिप-टॉप कर राशि निगल लिए. नगर परिषद् की एक समस्या नहीं है. स्वीपर हड़ताल पर हैं. हड़ताल का मतलब ये नहीं कि वे काम नहीं कर रहे. हड़ताल का मतलब कि वे अभी नगर परिषद् के अधिकारी की बात नहीं मानेंगे. शहर में उनसे यदि अभी काम लेना है तो आपको उनके ब्लैकमेल का शिकार होना पड़ेगा. लक्ष्मीपुर के निवासियों ने जब स्वीपरों से नाला साफ़ करने कहा तो उन्होंने 600/- रूपये मांगे. आखिर राय ब्रज कुमार सिन्हा, अधिवक्ता सुचिन्द्र सिंह, राहुल सिन्हा, राजू आदि लोगों ने खुद फावड़ा उठाया और गंदे नाले साफ़ करने में भिड गए.
ये तो सिर्फ बानगी है. यदि पूरे नगर परिषद् का हाल लिखें तो रामचरितमानस से भी मोटी ग्रन्थ लिखी चली जायेगी. समस्याएं अनंत हैं समाधान कुछ नहीं. यूं ही चुनते रहिये जनप्रतिनिधियों को जो बिहार के शीर्ष सत्ता पर बैठकर अधिकारियों और दलालों में चंगुल में आपको इस कदर डालते रहेंगे कि आपके पास रोने और अपना सर पीटने के अलावे कोई रास्ता नहीं बचेगा. पीटते रहिये सर, ये मधेपुरा है. (वि.सं.)
पृथ्वी पर नर्कभोग कर रहे नगर परिषद् क्षेत्र के लोग: कहीं 'डूडा' ने लूटा तो कहीं अपनों ने..
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 09, 2015
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