बिहारीगंज रेलवे स्टेशन: ललित बाबू के सपनों को बिहार के रेल मंत्री नहीं कर सके अबतक साकार, पीएम से आश...

मधेपुरा जिले का बिहारीगंज रेलवे स्टेशन अपने कायाकल्प के लिए आज भी उद्धारक की बाट जोह रहा है. पूर्व मध्य रेल कोशी क्षेत्र का अंतिम बिहारीगंज रेलवे स्टेशन सुविधाओं के मामले में पूरी तरह उपेक्षित है, भले ही इलाके के नेता लम्बी-चौड़ी हांकते रहें.
    सिर्फ सुविधाओं के मामले में ही नहीं बल्कि रेल लाइन विस्तार की कई योजनाओं का क्रियान्वयन भी मंत्रालय में आज धूल फांक रहा है. बिहार के रेल मंत्रियों ने भी इस रेलवे स्टेशन के साथ मजाक ही किया है. वर्तमान में केन्द्र सरकार में खाद्य मंत्री के पद पर काबिज रामविलास पासवान 1996 में जब रेलमंत्री बने तो क्षेत्र के लोगों को लगा अब इस क्षेत्र का कयापलट होगा और विकास के नये नये दरवाजे खुलेगें. आशा के अनुरूप उन्होंने अपने कार्यकाल में कोपरिया सिमरी बख्तियारपुर बिहारीगंज रेलपथ निर्माण कराने की घोषणा की जिसकी लंबाई 67 किलोमीटर है. इसके अलावे उनके द्वारा बिहारीगंज के रास्ते कुरसेला से सहरसा तक नई रेल लाइन बिछाने की घोषणा कर उसका शिलान्यास 04 नवंबर 1996 को किया गया तो लोगों को लगा कि कोशी के लाल स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र रेल मंत्री का सपना शायद अब पूरा होगा. ललित बाबू, जिन्होंने कोशी क्षेत्र में रेल विस्तार की एक लंबी लकीर खींचकर लोगों को उत्साहित किया था. पर उनकी असमय मौत ने सबको निराश कर दिया.   
               बिहार से रेलमंत्री के बनने पर लोगों में आशा का संचार होता था शायद इनके कार्यकाल में उनसबों का सपना पूरा हो, पर ऐसा कुछ नहीं हो पाया. सपना सिर्फ सपना बनकर रह गया. उसे बिहार के किसी भी रेलमंत्री ने गंभीरता से नहीं लिया जिसका परिणाम हुआ उक्त परियोजनाएं आजतक सिर्फ फाइलों की शोभा बढ़ा रहे हैं और जनता आशा भरी निगाह से टकटकी लगाए विकास की राह तक रही है. हांलाकि लोगों को अभी भी विश्वास है कि पासवान जी अपने द्वारा शिलान्यास किये परियोजनाओं के प्रति रूचि दिखाएगें और उक्त पर काम होगा. इसके अलावे कोशी क्षेत्र में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन से लोगों को लग रहा है कि शायद उनके आने से क्षेत्र के लोगों का सपना साकार हो और कष्टदायक यात्रा से लोगों को निजात मिल सके.
                    बता दें कि  बिहारीगंज रेलवे स्टेशन एक मात्र ऐसा स्थल है जिसपर चौसा, आलमनगर, ग्वालपाड़ा, उदाकिशुनगंज, पुरैनी प्रखंड समेत पुर्णियां, भागलपुर व खगड़िया जिला के सीमावर्ती क्षेत्र में रह रहे लगभग आठ से दस लाख की आबादी एकमात्र बिहारीगंज रेलवे स्टेशन पर पहुँच कर अपनी यात्रा की शुरूआत करते हैं और देश के अन्य भागों में जाकर लोग मजदूरी व अन्य धंधे को अपनाते है. इस दृष्टिकोण से बिहारीगंज रेलवे स्टेशन लोगों के लिए अति महत्वपूर्ण है. बावजूद यह स्टेशन आजतक अपेक्षित है. बिहार से जब राजद सुप्रीमों भारत के रेलमंत्री बने उनके द्वारा भी रूपौली में कुर्सेला से बिहारीगंज रेल विस्तार की नई रेल परियोजना का शिलान्यास किया गया. इसके अलावे बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के द्वारा भी दालकोला, पुर्णियां, भवानीपुर, बिहारीगंज, उदाकिशुनगंज व कोपरिया तक एक लंबी रेल परियोजना निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गयी, पर आज तक सबों ने कोशी के लोगों को छलने का काम किया. जनता आज भी उसी आशा व विश्वास में है शायद कोई तारणहार आकर उनकी समस्या का समाधान कर जाए और उन्हें कष्ट से मुक्ति मिल जाए
       यह तो आने वाला वक्त हीं बता पाएगा कि जनता के हिस्से क्या आता है, फिलहाल इस इलाके के लोग इस उम्मीद पर हैं कि 18 को सहरसा आने वाले भारत के प्रधानमंत्री शायद उनके सपनों को साकार कर जाए.
(बिहारीगंज से रानी देवी की रिपोर्ट)
बिहारीगंज रेलवे स्टेशन: ललित बाबू के सपनों को बिहार के रेल मंत्री नहीं कर सके अबतक साकार, पीएम से आश... बिहारीगंज रेलवे स्टेशन: ललित बाबू के सपनों को बिहार के रेल मंत्री नहीं कर सके अबतक साकार, पीएम से आश... Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 09, 2015 Rating: 5

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