मधेपुरा के आलमनगर और चौसा बाढ़ पीड़ित क्षेत्र का सड़क संपर्क भंग, पहुंचे अधिकारी

मधेपुरा जिले के आलमनगर और चौसा प्रखंड के तीन दर्जन से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी फ़ैल गया है और हजारों लोगों के लिए मुसीबतों का दौर शुरू हो चुका है.
        आलमनगर प्रखण्ड के पांच पंचायतों के लगभग तीन दर्जन गाँव में बाढ़ आने से यहाँ का सड़क संपर्क भी भंग हो गया है जिससे आवश्यक उपयोग की वस्तु लाने में परेशानी होने लगी है क्योंकि यहाँ पर्याप्त मात्रा में नाव उपलब्ध नहीं है. इलाके में बहुत से लोग तो अबतक किसी तरह टिके हुए हैं पर आफत पशुओं पर कहर बनकर टूटा है और पशुपालक अपने पशुओं को अन्यत्र चारा की तलाश में ले जाने को विवश हैं.
        जानकारी दी गई कि पिछले पांच दिनों से हो रही लगातार बारिश और कोसी के उफान से यह विकराल स्थिति उत्पन्न हुई है. साथ ही  मुरौत के कटाव के कारण विस्थापित परिवारों के घरों में फिर से पानी आ जाने के कारण इन्हें फिर विस्थापित हो कर कला भवन एवं मनरेगा भवन में शरण लेना पड़ा है. तबाही किसानों पर भी टूटी है क्योंकि इस क्षेत्र में खेतों में लगे हजारों एकड़ घान की फसल डूबने के कगार पर है जिससे किसानों में भारी चिंता देखि जा रही है.
    जायजा लेने आज इलाके में एडीएम आपदा कन्हैया लाल प्रसाद, एसडीओ उदाकिशुनगंज मुकेश कुमार, बीडीओ आलमनगर मिन्हाज अहमद आलमनगर के गंगापुर पंचायत के सोनामुखी पहुंचे. जायजा लेने के बाद अधिकारीयों ने लोगों के आवागमन के लिए प्रयाप्त नाव उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया. लोगों ने  मुरौत कटाव से विस्थापितों  को अबतक पुर्नवास हेतु जमीन नहीं उपल्बध कराये जाने की शिकायत की जिस पर एडीएम ने कहा कि जल्द ही पुर्नवास हेतु जमीन अधिग्रहण कर विस्थापित लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा. चौसा के गांवों की स्थिति पर अधिकारियों ने चिंता जाहिर की और आवश्यक निर्देश दिए.

नाविकों ने उठाया मजदूरी का मुद्दा: मधेपुरा टाइम्स ने कल ही नाविकों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया था और आज ये मुद्दा जिला प्रशासन के सामने भी उठा. नाविकों द्वारा पिछले वर्ष चलाये गये नाव के परवाना देने के बावजूद एक मात्र मल्लाह की मजदूरी देने पर विरोध करते हुए नाव नहीं देने की बात कही गई. एसडीओ मुकेश कुमार ने नाविकों को भरोसा दिलाया कि सरकार द्वारा 24 फीट से लंबी नाव पर ही दो नाविकों की मजदूरी देने का प्रावधान है. परन्तु नाविकों ने आपत्ति जताई कि उन्हें 16 घंटे नाव चलाना पड़ता है. ऐसे में एक मल्लाह से फेरी लगाना संभव नहीं है. इस पर एसडीओ मुकेश कुमार ने आश्वासन देते हुए कहा कि जिस जगह पर लोगों की भीड़ ज्यादा है तथा फेरी ज्यादा लगाना पड़ता है, वहां दो नाव के साथ-साथ दो मल्लाह भी दिया जायेगा.
    जो भी हो पिछली तबाही को देखते हुए इलाके के लोगों की आँखों में बाढ़ का खौफ साफ़ देखा जा सकता है.   
(चौसा से आरिफ आलम के साथ आलमनगर से प्रेरणा किरण की रिपोर्ट )
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