

दरअसल
सारी खबर मीडिया और पब्लिक के बीच तब आम हो गई जब सदर अस्पताल के गेट पर दर्जनों
युवक इकठ्ठा हो गए और सिविल सर्जन के खिलाफ नारे लगाने लगे. पहले बातें गोल-गोल
घुमाने के बाद उनका आरोप था कि सिविल सर्जन ने स्वास्थ्य विभाग में डाटा ऑपरेटर की
बहाली के नाम पर कई युवकों से लाखों रूपये वसूल किये हैं.
इस बावत
जब हमने सिविल सर्जन डा० जय प्रकाश मंडल से पूछा तो उन्होंने कहा कि ये युवक
डीपीएम के मोहल्ले के हैं और उन्हीं के कहने पर आये हैं. ये उन्हें बदनाम करने की
साजिस है. डीपीएम पर आरोप लगाते हुए सीएस ने कहा कि आज डीपीएम ने उनका चेंबर
कब्जाने का प्रयास किया और इससे पहले उन्होंने करोड़ों रूपये के रि-एजेंट बिना
सिविल सर्जन की अनुमति से खरीदने का आदेश दे दिया और इस सम्बन्ध में जब डीपीएम से
फ़ाइल माँगा गया तो उन्होंने फ़ाइल खो जाने की बात कही. वे एफआईआर की तैयारी कर रहे
हैं. नौकरी के नाम पर रूपये लेने के आरोप के बावत सीएस डा० जे० पी० मंडल ने कहा कि
ऐसी कोई वेकेंसी निकली ही नहीं है तो फिर ऐसे आरोपों का कोई मतलब ही नहीं है. सीएस
ने कहा कि ये युवक डीपीएम के लोग थे और हंगामा कर रहे थे.
उधर
डीपीएम मो० इमरान ने कहा कि उनके पहले वाले चेंबर में एक चूहा मर जाने से दुर्गन्ध
फ़ैल गया था, मैं इधर सीएस के चेंबर में बगल में काम कर रहा था. जिसपर सीएस डा० जे०
पी० मंडल ने उन्हें भद्दी-भद्दी गालियाँ दी और चेंबर से निकलवा दिया. डीपीएम ने यहाँ
तक कहा कि सिविल सर्जन ने उन्हें हरिजन एक्ट में फंसा देने की भी धमकी दी. एक करोड़
से अधिक के रि-एजेंट की खरीद की बात पर डीपीएम ने कहा कि इंटरनेट के लिंक में
खराबी की वजह से ऑर्डर सीएस के परमिशन के पहले ही ओके हो गया था, जिसे बाद में
उन्होंने कैंसल के लिए आवेदन दिया है. सम्बंधित फ़ाइल के बारे में उन्होंने कहा कि
फ़ाइल उनके ऑफिस से गायब हो गया है. वे एफआईआर दर्ज करा रहे हैं.
आरोप-प्रत्यारोप
के दौर में दोनों एक-दूसरे की पोल खोलने में लगे रहे, जो यह दर्शा गया कि मधेपुरा
सदर अस्पताल में सबकुछ ठीक नहीं है. अब देखना है कि सीएस-डीपीएम विवाद आगे क्या
रूख लेता है. हालाँकि डीपीएम ने बाद में यह भी कहा कि वे सीएस से माफ़ी मांगने को
तैयार हैं. (वि० सं०)
मधेपुरा सदर अस्पताल बना अखाड़ा: सीएस और डीपीएम में भिड़ंत
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 01, 2015
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