नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पोर्न वेबसाइट्स को
बंद करने के आदेश देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट का मानना है कि पोर्न साइट्स पर
पूर्ण प्रतिबंध निजता और व्यक्तिगत आजादी की उल्लंघन होगा।
मुख्य न्यायाधीश
एच एल दत्तू का कहना है कि कोर्ट ने यह भी कहा कि कल कोई अदालत से यह गुहार लगाएगा कि देखिए,
हम व्यस्क हैं। आप मुझे घर की
चारदीवारी के भीतर पोर्न साइट्स देखने से कैसे रोक सकते हैं? यह संविधान के अनुच्छेद 21 में वर्णित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। फिर भी यह मामला
गंभीर
है। इस पर कुछ कदम उठाए जाने का जरूरत है। केन्द्र इस मामले को देख रहा है। हम देखेंगे कि
केन्द्र क्या कदम उठाएगा। शीर्षस्थ अदालत का कहना है कि वह कोई ऐसा अंतरिम
आदेश जारी नहीं कर सकती। तीन जजों वाली पीठ की अध्यक्षता करते हुए मुख्य
न्यायाधीश एच एल दत्तू ने गृह मंत्रालय से इस मामले में चार सप्ताह के भीतर
पूर्ण विवरण समेत एफीडेविट दाखिल करने के निर्देश दिए। अदालत ने यह भी
कहा कि कामसूत्र की रचना वाले देश में व्यक्तिगत आजादी सर्वोच्च रहनी चाहिए। इंटरनेट पर ब्लू
फिल्म मौजूद हैं। कामुकता व्यक्तिगत इच्छा है।

(साभार: राजस्थान पत्रिका)
सुप्रीम कोर्ट ने माना, पोर्न साइट्स पर नहीं लगा सकते बैन
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 09, 2015
Rating:

No comments: