
ऊंट के मुंह में जीरा बने यूरिया की किल्लत से जहाँ कल मुरलीगंज में आजिज किसानों ने क़ानून को अपने हाथ में लेकर यूरिया से भरे ट्रक को लूट लिया वहीँ जिले भर में सड़क-जाम और प्रदर्शन का सिलसिला लगातार जारी है.
उधर
जहाँ दो दिन पहले किसानों और महिलाओं ने मधेपुरा प्रखंड के चांदनी चौक को जाम कर
हंगामा खड़ा किया था वहीँ बताया जाता है कि कल चौसा में आये यूरिया के ट्रक को बिना
गोदाम ले जाए हुए सड़क के किनारे ही लगाकर सारी बोरियां ब्लैक में बेच दी गई.
स्थिति यह थी कि अधिक कीमत पर खरीदने वाले किसान भी अपने को भाग्यशाली समझ रहे थे.
यूरिया
किल्लत से परेशान किसानों ने आज आलमनगर मुख्य बाजार के सड़कों को जामकर जमकर
नारेबाजी की.
बताया
गया कि पिछले पन्द्रह दिनों से जिले में यूरिया की भारी किल्लत चल रही है और इस किल्लत
की सीधी मार अभी खासकर मक्का किसानों पर पड़ रही है क्योंकि किसानों द्वारा गेहूं
में बाली लगने के समय पटवन करने के उपरान्त यूरिया की आवश्यकता पड़ती है वहीं मकई
में खाद चढाने एवं पानी देने के बाद यूरिया की आवश्यकता होती है.
पर
आलमनगर समेत समूचे मधेपुरा के बाजारों में चोरी-छिपे चार सौ से पांच सौ रूपये में
यूरिया बेचे जाने के कारण बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. आलमनगर के चार पांच खाद
विक्रेताओं को लगभग 1600 पैकेट यूरिया आबंटन होने की सूचना पर हजारों किसान सुबह
से ही दुकान पर जमा हो गए. खाद विक्रेताओं द्वारा किसानों के पहचानपत्र के आधार पर
प्रति किसान एक पैकेट यूरिया का वितरण किया जाने लगा. पर मात्रा कम होने के कारण
सभी किसानों को यूरिया नहीं मिल पाया जिससे आक्रोशित किसानों ने आज सड़क को घंटों
जाम कर दिया.
इधर आज
मधेपुरा में खुदरा खाद विक्रेताओं ने भी कृषि विभाग के कार्यालय के पास उन्हें खाद
मुहैया न कराये जाने के विरोध में जाम कर दिया.
जिले
में किसानों की स्थिति यूरिया के अभाव में इतनी बदतर हाल के वर्षों में कभी नहीं
देखी गई थी. स्थिति अत्यंत ही गंभीर है. सरकार को चाहिए कि जिले को यूरिया की
अनुपलब्धता से अविलम्ब निजात दिलाया जाय.
यूरिया की किल्लत से जिले में हाहाकार, कब आयेंगे किसानों के ‘अच्छे दिन’?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 12, 2015
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