‘जनता दरबार है मजाक, नेताओं को दरबार सजाना बंद करना चाहिए’: मांझी पर जूता फेंके जाने के बाद मधेपुरा टाइम्स के पाठकों की प्रतिक्रिया

जनता दरबार के बारे में बहुत से लोगों का कहना है कि ये मजाक से ज्यादा कुछ नहीं. एक-दो प्रतिशत आवेदन पर ही खास कार्यवाही की जाती है, बाकी सिर्फ मंत्रियों के फाइलों की शोभा बढ़ाते रह जाते हैं. आज सीएम के जनता दरबार में एक व्यक्ति के द्वारा जीतन राम मांझी पर फेंका जूता. कहा जाता है कि युवक का नाम अमित बोस था और वह अपनी समस्या को लेकर अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते मानसिक आपा खो बैठा और आज ऐसा कदम उठाया कि आज हमेशा विवादस्पद बयानों से चर्चा में रहने वाले मांझी एक बार फिर खबर बन बैठे.
जनता दरबार आमलोगों की समस्याओं को सुलझाने में कितना असरदार है या यह महज एक दिखावा बनकर रह गया है? मधेपुरा टाइम्स ने इस विषय पर पाठकों की प्रतिक्रिया जाननी चाही तो और प्रश्न पूछा क्या आपको नहीं लगता है कि जनता दरबार महज आवेदन जमा करने का एक मंच बन कर रह गया है? क्या जनता दरबार सिर्फ दिखावे का दरबार है और अधिकाँश लोगों की समस्या जस की तस बनी रह जाती है?
      तो कुछ पाठकों की प्रतिक्रिया इस तरह आई. आप खुद पढ़ें:
Intekhab Ur Rahman Yeh shabd " DARBAR" hi yeh batane ke liye kafi hai ki abhi bhi democracy purn roop se nahi aa payi hai. Rajshahi ka daur hai.
Netaon ko darbar sajana band karna chahiye. Public ke beech pahunch kar unki samasya ka samadhan hona chahiye.
Mahesh Kumar Chotu sir majak hai janta darbar
Aman Kumar संभवतः माँझी जी को सत्ता की गहरी निद्रा से जगाने के लिए उनपर जूता झोँका गया है..पर जूते झोँकने या मौजे सुँघाने से इस निद्रा के टूटने के आसार कम हीँ है. .
Moni Singh बिलकुल मजाक है जनता दरवार के नाम पर जनता के साथ। लोग बड़ी उम्मीद लगा कर दूर-दूर से जाते हैं मुख्यमंत्री से मिलने जनता दरवार में। मगर वहां की सच्चाई कुछ और होती है। आवेदन रख आश्वासन दे दिया जाता है जिसके बाद फरियादी दिन-रात अपने गाँव-घर के दफ्तरों में धक्के और अफसरों के ताने सुनते रहते हैं। बीच-बीच में एक-आध केस पर करवाई दिखा कर लोगों के बीच इस दरवार का प्रचार करवाते रहते हैं.
Santosh Kumar Raj Abvp है ही अब सरकार भी सिर्फ नाम की ही है |
Aman Kumar दिल कोठे पर दिमाग बीयर बार मेँ । बैठे हैँ मंत्री जी जनता दरबार मेँ ।।
Prabhakar Kumar सहि किया उस युवक ने। और बोला भी सहि कि जात कि राजनिति करता है। समाज को फिर से बक्वार्ड फोरवाड में बाँटने कि साजिस हो रहि है। डेवलपमेंट गया भांड़ में।
Rajesh Kumar · Ha ye jagah sirf application lekar hi simit rah jata hai ........
Amit Kumar janta ko sirf bevkuf banaya ja raha hai dikhava hai sab.
Ambast Kumar भाईयो जनता दरबार तो दूर की बात है! जो कानून के रखवाले हैं हमने उनहे भी रिशवत लेते देखा है ईसी तरह जब कानून के रकछा करने वाले ही कानून के भकछक है तो पुरे देश का क्या होगा.
Rakesh Bhagat परते हे जूते इसलिए जनता दरबार में
(फेसबुक के माध्यम से ली गई प्रतिक्रिया हूबहू प्रकाशित की जा रही है, इसलिए शाब्दिक अशुद्धियाँ अधिक हो सकती है. यदि आप फेसबुक में लॉगिन होकर प्रतिक्रिया देने वालों के नाम पर क्लिक करें, तो उन्हें विस्तार जान सकते हैं.)
(नि० सं०)
‘जनता दरबार है मजाक, नेताओं को दरबार सजाना बंद करना चाहिए’: मांझी पर जूता फेंके जाने के बाद मधेपुरा टाइम्स के पाठकों की प्रतिक्रिया ‘जनता दरबार है मजाक, नेताओं को दरबार सजाना बंद करना चाहिए’: मांझी पर जूता फेंके जाने के बाद मधेपुरा टाइम्स के पाठकों की प्रतिक्रिया Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on January 05, 2015 Rating: 5

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