‘जनता दरबार है मजाक, नेताओं को दरबार सजाना बंद करना चाहिए’: मांझी पर जूता फेंके जाने के बाद मधेपुरा टाइम्स के पाठकों की प्रतिक्रिया
जनता
दरबार के बारे में बहुत से लोगों का कहना है कि ये मजाक से ज्यादा कुछ नहीं. एक-दो
प्रतिशत आवेदन पर ही खास कार्यवाही की जाती है, बाकी सिर्फ मंत्रियों के फाइलों की
शोभा बढ़ाते रह जाते हैं. आज सीएम के जनता दरबार में एक व्यक्ति के द्वारा जीतन राम
मांझी पर फेंका जूता. कहा जाता है कि युवक का नाम अमित बोस था और वह अपनी समस्या
को लेकर अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते मानसिक आपा खो बैठा और आज ऐसा
कदम उठाया कि आज हमेशा विवादस्पद बयानों से चर्चा में रहने वाले मांझी एक बार फिर
खबर बन बैठे.
जनता दरबार आमलोगों की समस्याओं को सुलझाने में कितना असरदार है या यह महज
एक दिखावा बनकर रह गया है? मधेपुरा टाइम्स ने इस विषय पर पाठकों की प्रतिक्रिया
जाननी चाही तो और प्रश्न पूछा “क्या आपको नहीं लगता है कि जनता दरबार महज आवेदन जमा
करने का एक मंच बन कर रह गया है? क्या
जनता दरबार सिर्फ दिखावे का दरबार है और अधिकाँश लोगों की समस्या जस की तस बनी रह जाती
है?”
तो कुछ पाठकों की प्रतिक्रिया
इस तरह आई. आप खुद पढ़ें:
‘जनता दरबार है मजाक, नेताओं को दरबार सजाना बंद करना चाहिए’: मांझी पर जूता फेंके जाने के बाद मधेपुरा टाइम्स के पाठकों की प्रतिक्रिया
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
January 05, 2015
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