बिहार सरकार 'वास्तु विहार' को घेरे में लेने को आगे बढ़ती दिख रही है. कंपनी का पक्ष रखने को 'वास्तु
विहार' के सीएमडी विनय तिवारी
का दोबारा फोन आने का इंतजार है.
सोमवार को आया फोन नेटवर्क प्राब्लम
के कारण डिस्टर्ब हो गया था. थोड़ी देर बाद बात होनी थी. खैर, 'वास्तु विहार'
के सीएमडी विनय तिवारी, जो कैमरे में जल्द कैद नहीं होते, उनकी तस्वीर मिल गई है. आप 'वास्तु विहार' की वेबसाइट/सोशल मीडिया/गूगल सर्च में तलाशते रह जायेंगे ,कहीं नहीं मिलेगी. तस्वीर देख और बहुत कुछ आप समझ सकते हैं. यह तस्वीर नवंबर
माह में गया में संपन्न भूमि पूजन की है. आप तस्वीर को ठीक से देखें,
टीका लगाये सांसद मनोज तिवारी जी
बैठे हैं. मतलब साफ है कि विनय तिवारी स्वयं को पीछे रख मनोज तिवारी
के माध्यम ही 'वास्तु विहार'
को बेचते हैं. कमजोर आय वर्ग के लोग मनोज तिवारी को देख बहलावे में फंस भी जाते हैं.
अब ठगी के 'वास्तु विहार' के बाजार को ठीक से पढ़ें. दो दिनों पहले पटना के दैनिक जागरण में दो फुल पेज विज्ञापन छपे. फाइव स्टार बंग्लो के लोकार्पण की घोषणा कई शहरों में एक साथ 15 जनवरी को किये जाने का एलान किया गया. मैंने पटना के साइट के बारे में पूछा. 'वास्तु विहार' के दफ्तर से बताया गया कि अभी जमीन फाइनल नहीं हुई है. समझ सकते हैं कि बिना जमीन के प्रोजेक्ट लॉन्चिंग और बुकिंग-सह-रजिस्ट्रेशन लेने का फंडा कितना शुद्ध-अशुद्ध है.
विज्ञापन के दूसरे पन्ने पर वास्तु नैनो प्रोजेक्ट का बखान था. मात्र एक रुपये में बुकिंग और चार लाख अस्सी हजार रुपयों में दो कमरों का छोटा फ्लैट. कोई भी झांसे में आ जायेगा. आजकल भिखमंगे भी एक रुपये नहीं लेते. तहकीकात की तो बताया गया कि एक रुपये में बुकिंग होगी और अगले महीने से चालीस महीनों का मासिक बारह हजार रुपयों का पोस्ट डेटेड चेक देना होगा. साफ है कि बैंक लोन का आप्शन नहीं है. पर बिहटा रोड में पटना के प्रोजेक्ट के लिए 'वास्तु विहार'
बिना नक्शा की स्वीकृति के पैसे लेने को तैयार है. यह वसूली सरकार की नजरों में सरासर धोखाधड़ी मानी जा रही है. महीने के मात्र बारह हजार रुपये की लालच में हजार बुकिंग भी हो गई, तो प्रति महीने करोड़ों का वारा-न्यारा. वैसे 'वास्तु विहार'
ने टारगेट तो बहुत बड़ा रखा है, जिसमें काम शुरु हुए बिना भी काफी बड़ी राशि कंपनी के खाते
में आ जाएगी .
अब ठगी के 'वास्तु विहार' के बाजार को ठीक से पढ़ें. दो दिनों पहले पटना के दैनिक जागरण में दो फुल पेज विज्ञापन छपे. फाइव स्टार बंग्लो के लोकार्पण की घोषणा कई शहरों में एक साथ 15 जनवरी को किये जाने का एलान किया गया. मैंने पटना के साइट के बारे में पूछा. 'वास्तु विहार' के दफ्तर से बताया गया कि अभी जमीन फाइनल नहीं हुई है. समझ सकते हैं कि बिना जमीन के प्रोजेक्ट लॉन्चिंग और बुकिंग-सह-रजिस्ट्रेशन लेने का फंडा कितना शुद्ध-अशुद्ध है.
विज्ञापन के दूसरे पन्ने पर वास्तु नैनो प्रोजेक्ट का बखान था. मात्र एक रुपये में बुकिंग और चार लाख अस्सी हजार रुपयों में दो कमरों का छोटा फ्लैट. कोई भी झांसे में आ जायेगा. आजकल भिखमंगे भी एक रुपये नहीं लेते. तहकीकात की तो बताया गया कि एक रुपये में बुकिंग होगी और अगले महीने से चालीस महीनों का मासिक बारह हजार रुपयों का पोस्ट डेटेड चेक देना होगा. साफ है कि बैंक लोन का आप्शन नहीं है. पर बिहटा रोड में पटना के प्रोजेक्ट के लिए 'वास्तु विहार'

ठगी का स्टाप मात्र इतने से खत्म नहीं होता. अब आप दूसरी तस्वीर को देख लें, जो
'वास्तु विहार' के विज्ञापन का पार्ट है. साफ-साफ लिखा दिख रहा है -'दो कमरों का छोटा फ्लैट मात्र 4.80 लाख में.' लेकिन यह दावा
सरासर झूठा है, जो 'वास्तु विहार' के आधिकारिक वेबसाइट से प्रमाणित हो जाता है. तहकीकात को जब वेबसाइट पर जाकर नैनो प्रोजेक्ट के प्लान को सर्च
किया, तो 320 फीट का फ्लैट दिख रहा है. वेबसाइट से लिए गए प्लान को आप तीसरी तस्वीर में देख सकते हैं. इसमें दो कमरे का नहीं एक कमरे का फ्लैट है. यह सिद्ध करने को काफी है कि विज्ञापन कम कमाई वाले ग्राहकों को फांसने
को झूठा प्रकाशित कराया गया है. वैसे कीमत की बात
कर लें, तो 'वास्तु विहार' का नैनो प्रोजेक्ट कतई सस्ता नहीं माना जा सकता. अंधेर लोकेशन में 'वास्तु विहार' का साइट होता है. कंस्ट्रक्शन क्वालिटी को लेकर भी कई तरीके की
बातें उठती रही है. ऐसे में, 320 फीट का
फ्लैट 4.80 लाख में, मतलब लागत 1500 रुपये प्रति फीट बैठी. इसे आज की तारीख
में कतई सस्ता नहीं कहा जा सकता.
'वास्तु विहार' का किस्सा हरि अनंत कथा-हरि अनंता की तरह है, आगे और मिली जानकारी को बताने की कोशिश करेंगे. सीएमडी विनय तिवारी पक्ष रखने को संपर्क में आये, तो उनसे सवाल-जवाब भी करेंगे. सरकार की कार्रवाई की तैयारी पर भी नजर रहेगी. अखबारों से कुछ उम्मीद नहीं रखियेगा, क्योंकि बिहार-झारखंड में 'वास्तु विहार' आज की तारीख में विज्ञापन का सबसे बड़ा मुर्गा है, जिसे जरुरत के माफिक सभी समय-समय पर हलाल कर लेते हैं.
'वास्तु विहार' का किस्सा हरि अनंत कथा-हरि अनंता की तरह है, आगे और मिली जानकारी को बताने की कोशिश करेंगे. सीएमडी विनय तिवारी पक्ष रखने को संपर्क में आये, तो उनसे सवाल-जवाब भी करेंगे. सरकार की कार्रवाई की तैयारी पर भी नजर रहेगी. अखबारों से कुछ उम्मीद नहीं रखियेगा, क्योंकि बिहार-झारखंड में 'वास्तु विहार' आज की तारीख में विज्ञापन का सबसे बड़ा मुर्गा है, जिसे जरुरत के माफिक सभी समय-समय पर हलाल कर लेते हैं.
ज्ञानेश्वर वात्स्यायन , पटना
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.)
'वास्तु विहार' ठगी का बड़ा बाजार !
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 09, 2014
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