अँधेरा कायम रहे!: कस्तूरबा विद्यालय से गूंगी छात्राओं के भागने के मामले को आरोपियों ने किया ‘फुल्ली मैनेज्ड’ ?
अक्सर कहा जाता है कि सत्य परेशान हो सकता है,
पराजित नहीं. पर यकीन मानिए भाई साहब, उक्तियाँ कहने और सुनने में तो कानों को बड़े
‘रिलैक्स’ देते हैं, पर कई मामलों में
पैसा और पॉवर के सामने सत्य की जो दुर्गति होती है, उसे देखकर ही शायद अधिकाँश
लोगों की जिंदगी का स्लोगन बन गया है- ‘भ्रष्टाचार जिंदाबाद ! अँधेरा कायम रहेगा.’
पुरैनी के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय
से विगत गुरूवार को मारपीट एवं प्रताड़ना से तंग आकर भागी तीन गूंगी अल्पसंख्यक छात्राओं के मामले
में अब सबकुछ मैनेज कर लिया गया है. कहा जा रहा है कि बच्चियों के अभिभावकों ने पुरैनी
थाने में एक आवेदन दे दिया है कि उन्होंने लोगों के बहकावे में आकर वार्डेन तथा
अन्य पर मुकदमा दर्ज करने का आवेदन दिया था. दर्ज किए गए प्राथमिकी के आधार पर पुलिस
अनुसंधान शुरू करती कि मामले को ही रफादफा कर दिया गया है. खबर है कि कस्तूरबा संचालक
एवं वार्डेन स्थानीय शिक्षा माफियाओं के गठजोड़ से सभी परिजनों को शनिवार को पुरैनी
कस्तूरबा लाया गया और उन्हें वहां समझा-बुझाकर व अपने प्रभाव में लेकर पुरैनी थानाध्यक्ष
सुनील कुमार के समक्ष बयान दिलवाया गया कि मेरी बच्चियों के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ
था.
तो...अब भूल जाइए कि छात्राओं ने जख्म क्यों दिखाया था? क्यों भागी
थी, इसपर भी विचार छोड़ दीजिए. इशारे से मारने-पीटने की बात कह रही ही, अब इन इशारे
को भी भूल जाइये. भूल जाइए कि वार्डेन तथा अन्य को देखकर बच्चियां सहमकर रोने लगी
थी. ये भी भूल जाइये कि छानबीन के बाद ही थानाध्यक्ष ने मामले जो दर्ज किया था. साथ
में आपको ये भी भूलना होगा कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय के प्रभारी एचएम सह वरीय बीआरपी
मणिराम जो कस्तूरबा के संचालक सहित अकेले तीन पद पर चिपके हुए हैं, उसमें भी कुछ
गलत है.
मामले में जिले के उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप की जरूरत प्रतीत
होती है.
अँधेरा कायम रहे!: कस्तूरबा विद्यालय से गूंगी छात्राओं के भागने के मामले को आरोपियों ने किया ‘फुल्ली मैनेज्ड’ ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 22, 2014
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