|वि० सं०|04 अगस्त 2014|
लोकसभा चुनाव के दौरान मधेपुरा जिले के मुरलीगंज नगर
पंचायत के वार्ड पार्षद श्वेत कमल उर्फ बौआ के जिलाबदर करने के आदेश को पटना हाई
कोर्ट ने गलत ठहरा दिया है. श्वेत कमल उर्फ बौआ पर जिला प्रशासन ने सीसीए (क्राइम
कंट्रोल एक्ट) लगाते हुए उसे आदतन अपराधी माना था और जिला बदर कर दिया था.
आदेश से
आहत जनप्रतिनिधि श्वेत कमल उर्फ बौआ ने मामले को पटना हाई कोर्ट में चुनौती दे थी
और क्रिमिनल रिट ज्यूरिसडिक्शन वाद संख्यां 417/2014 में बिहार सरकार द्वारा
प्रधान सचिव, गृह विभाग, पटना, जिला पदाधिकारी मधेपुरा और आरक्षी अधीक्षक मधेपुरा
को पार्टी बनाते हुए अपना पक्ष विस्तार से रखा. मामले में श्वेत कमल उर्फ बौआ की
ओर से अधिवक्ता वाई. एन. गिरि, उदय चंद प्रसाद, बिनोद कुमार सिन्हा तथा मनोज कुमार
ने विस्तार से बहस की जबकि विपक्षी की ओर से एस. ए. आलम, डी. के. सिंह तथा
अधिवक्ता निर्भय कुमार सिंह ने अपना पक्ष रखा.
सरकार
की ओर से दी गई दलील कि ये रिट पेटिशन मेन्टेनेबल नहीं है को खारिज करते हुए गत 25
जुलाई को न्यायालय ने अपने 20 पन्ने के विस्तृत आदेश में कई बातों का उल्लेख किया.
न्यायालय ने कहा कि मामले सीसीए लगाकर जिलाबदर करने के डीएम के आदेश में श्वेत कमल
उर्फ बौआ के खिलाफ वर्ष 2009 तक के मुकदमों का ही उल्लेख है जबकि उसके काफी वर्षों
बाद उन मुकदमों को आधार बनाकर याचिकाकर्ता को जिलाबदर करने का आदेश पारित किया गया
है.
आदेश के
पारा 36 में जस्टिस आई. ए. अंसारी और जस्टिस अंजना मिश्रा के बेंच ने लिखा कि,
36. In short, all the conditions
precedent, for invoking a District Magistrate‟s
jurisdiction under Section 3 of Bihar Control of Crimes Act, 1981, having not
been satisfied in the present case, no order of externment could have been
passed against the present petitioner.
वहीं अंत के दो पाराओं में से निष्कर्ष सुनाते हुए हाई
कोर्ट ने लिखा कि,
“38. Because of what have been discussed
and pointed out above, we find that the impugned order of externment is not
sustainable and, therefore, warrants interference.
39. In the result and for the
reasons discussed above, this writ petition succeeds. The impugned order of
externment, dated 01.04.2014, passed by respondent No. 2, namely, the District
Magistrate, Madhepura, which stands impugned in the present writ petition, is
hereby set aside and quashed.
यानि कि
हाई कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी, मधेपुरा द्वारा श्वेत कमल उर्फ बौआ के खिलाफ
जिलाबदर के आदेश में हस्तक्षेप करने की जरूरत है और जिलाधिकारी, मधेपुरा के द्वारा 01
अप्रैल 2014 को पारित जिलाबदर के आदेश को निरस्त किया जाता है.
जाहिर
है, न्यायालय का फैसला मधेपुरा डीएम के खिलाफ और श्वेत कमल उर्फ बौआ के पक्ष में
गया है. श्वेत कमल इसे मानहानि मान रहे हैं और उन्होंने मधेपुरा टाइम्स को बताया
कि वे जिलाधिकारी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे.
श्वेत कमल उर्फ बौआ को डीएम के द्वारा जिलाबदर के आदेश को हाई कोर्ट ने किया निरस्त
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
August 04, 2014
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