लाहौर जेल में 14 वर्षों से बंद युवक रमेश मधेपुरा का ! क्या इस बूढ़े माँ-बाप की चिता को आग देने वाले को वापस ला सकेगी भारत सरकार ?
पाकिस्तान के लाहौर जेल में 14 वर्षों से बंद रमेश
उस समय पाकिस्तान की सेना के हत्थे चढ़ गया था जब वह राजस्थान में भारत-पाकिस्तान
की सीमा के पास घूमते पाकिस्तान की सीमा में कब चला गया, पता ही नहीं चला.
पाकिस्तानी बॉर्डर फ़ोर्स ने रमेश पर भारतीय जासूस होने का आरोप लगा दिया और रमेश
वर्ष 2000 ई० से लाहौर जेल में कैद है.
हाल में
बिना किसी ठोस आरोप के
भारत और पाकिस्तान की जेल में बंद कैदियों को जब दोनों
सरकारों ने समझौते के तहत रिहा करने का फैसला लिया तो मधेपुरा से 16 साल पहले
मजदूरी करने राजस्थान गया रमेश अचानक से सुर्ख़ियों में आ गया. भारत और बिहार समेत
राज्यों की सरकार ने जब
पाकिस्तान जेल में बंद तस्वीर के साथ भारत के रमेश के बारे
में विभिन्न अखबारों में सूचना प्रकाशित की तो मधेपुरा के बिहारीगंज थाना के
मोहनपुर पंचायत के तारारही गाँव के रमेश की कहानी जानने वालों की आँखों में ये
सोचकर एक चमक आ गई, जो यहाँ से करीब 16 साल पहले राजस्थान मजदूरी करने तो गया था,
पर फिर उसका कोई पता न चल सका. मधेपुरा के उस रमेश और सरकार के द्वारा जारी की गई
तस्वीर में काफी समानता नजर आती है. और शायद इसी वजह से अब रमेश के घर में जिन्दा
बचे सिर्फ दो सदस्य रमेश के बूढ़े माँ-बाप की सूखी आँखें भी नम हो चली हैं.
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बिहारीगंज
थाना के मोहनपुर पंचायत के तारारही गाँव के रमेश मेहता की शादी जब वर्ष 1997 के
आसपास सुनीता से हुई थी तो एक खूबसूरत पत्नी पाकर रमेश फूले नहीं समा रहा था. साल
भर के बाद ही सुनीता ने जब एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया तो रमेश को लगा कि उसे
अब ज्यादा मिहनत करना चाहिए जिससे वह ज्यादा पैसे कमा सके. इस तरह वह पत्नी और बेटे
को एक अच्छी जिंदगी दे सकेगा. सुनीता से उसने बात कि और दोनों ने यह भी निर्णय
लिया कि रमेश अब एक बार ही कुछ सालों के बाद आएगा जिससे कमाए पैसे आने-जाने में न
खर्च होकर ज्यादा बचत हो सके.
पर रमेश
के राजस्थान से चार साल तक नहीं लौटने पर रमेश का बड़ा भाई उसे खोजने राजस्थान चला
गया, पर कुछ पता नहीं चल सका. बड़े भाई के वापस आने के बाद सुनीता का सब्र मानो जवाब
दे गया. सुनीता मैके चली गई और फिर वक्त ने उसे बेवफाई करने को भी मजबूर कर दिया.
सुनीता ने दूसरी शादी रचा ली. इधर रमेश का बड़ा भाई भी चिंता और बीमारी से स्वर्ग
सिधार गया.
माँ
पार्वती देवी और पिता उदय नारायण मेहता पर मानो पहाड़ टूट गया. एक-एक कर परिवार के
सारे सदस्य उनकी आँखों के सामने से दूर जा चुके थे. बूढ़ा शरीर किसी काम का भी नहीं
रहा. गाँव वालों ने इनके रूखे-सूखे खाने का इंतजाम तो कर दिया पर किसके लिए जीयें
पार्वती देवी और उदय नारायण मेहता को ये समझ में नहीं आ रहा था. पर उसने रमेश की लाश तो नहीं देखी थी, मन में एक कसक बाक़ी रह गई कि कहीं रमेश वापस तो नहीं आ
जायेगा. जिंदगी भले ही दुखों से भरी थी, पर आँखों में रमेश के लौटने के सपने
जिन्दा थे.
अब जब
लोगों की उम्मीदें लाहौर जेल में बंद रमेश से जग चुकी है तो माँ-बाप की आँखों में
भी यह सोचकर चमक आ गई है कि शायद पाकिस्तान की जेल में बंद रमेश उनका ही बेटा हो.
मधेपुरा
टाइम्स की टीम जब बिहारीगंज थाना के मोहनपुर पंचायत के तारारही गाँव पहुंची तो माँ
पार्वती देवी और पिता उदय नारायण मेहता फूट-फूट कर रोने लगे. घर से मिली रमेश की
एक तस्वीर पत्नी सुनीता के साथ की थी. घर से मिली तस्वीर और सरकार द्वारा जारी की
गई तस्वीर काफी हद तक मिलती है. बाल के डिजायन बदले हैं जो माना जा सकता है कि
पाकिस्तान की जेल में बंद कैदियों के बाल छोटे काट दिए जाते हैं. वैसे भी ये
तस्वीर 18 साल पुरानी है. गृह विभाग को मधेपुरा के इस रमेश की पूरी सूचना भेजी जा
चुकी है.
अब सबसे
बड़ी बात यह होगी कि यदि लाहौर जेल में बंद लगभग 40 वर्षीय रमेश मधेपुरा का ही रमेश
मेहता हुआ तो उसके अपने गाँव आने पर उसे सबसे बड़ा झटका उसकी उस बीवी की बेवफाई से लग
सकता है, जिसे खुशियाँ देने की चाहत ने रमेश को पाकिस्तान जेल पहुंचा दिया. बेटा
भी अब रमेश के पास नहीं होगा, पर माँ पार्वती देवी और पिता उदय नारायण मेहता के
जिन्दा रहने की वजह को शायद एक मुकाम मिल सकेगा और रूह को यह सोचकर सुकून मिलेगा
कि अब मौत के बाद चिता को आग देने वाला बेटा घर आ चुका है.
लाहौर जेल में 14 वर्षों से बंद युवक रमेश मधेपुरा का ! क्या इस बूढ़े माँ-बाप की चिता को आग देने वाले को वापस ला सकेगी भारत सरकार ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 13, 2014
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Bahut hin achha hoga jab ak khoya huaa Beta apne Maa aur Baap ko milega. lekin kya yah kosis hakikat ban payegi...?
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