|डिक्शन राज|19 मार्च 2014|
कहते हैं जहां विश्वास है, वहीं घात है. और यदि
संबंधों में विश्वास नहीं करें तो जीना हो जाता है मुश्किल. ऐसे में बुजुर्गों की
कही ये बात सच लगने लगती है कि जो लिखा है वो तो हो कर रहेगा.
मौत के
मुंह से लौट कर आए मधेपुरा जिला के चंदनपट्टी, गम्हरिया के मो० गफ्फार ने पिछले
चार दिनों में जो यातना झेली वो शायद वो ताउम्र नहीं भुला सकेगा. पशुओं का व्यापार
करने वाले गफ्फार को उसके साथ ही धंधा करने वाले झिटकिया, सिंहेश्वर का जब्बार
पिछले तेरह तारीख को चंदनपट्टी से सिंहेश्वर व्यवसाय के सिलसिले में ले गए. कहते
हैं कि जब्बार के कहने पर गफ्फार ने जमा किये डेढ़ लाख रूपये भी साथ ले लिए. पर
उसके बाद शुरू हुई घात और विश्वासघात की एक ऐसी कहानी जिसे जानकर लोगों का विश्वास
दोस्ती पर से उठ जायेगा.
जब्बार
और उसके सहयोगियों ने गफ्फार को न सिर्फ कैद कर यातनाएं दी, बल्कि उसे बुरी तरह
मारकर सुपौल में रेलवे ट्रैक के पास मरा हुआ समझकर फेंक दिया. पर किसी ने जब रेलवे
ट्रैक के पास इस घायल को देखा तो उसे सुपौल के सदर अस्पताल में दाखिल कराया, जहाँ
गफ्फार शारीरिक और मानसिक आघात की वजह से अभी भी बहुत कुछ बोल पाने की स्थिति में
नहीं है.

गफ्फार
उर्फ कारी मियां की पत्नी बीबी नजमूल बताती हैं कि कई दिनों से लापता पति से जब
अपहरण के दौरान अपराधियों ने जब मोबाइल से बात कराई थी तो पति ने रो-रोकर अपने साथ
हुए जुल्म की बात बताई थी और कहा कि उसे बहुत मारा जाता है.
गम्हरिया
थानाध्यक्ष अनंत कुमार ने घायल को सुपौल से पीएचसी गम्हरिया लाया है, जहाँ
उसके साथ हुए हादसे की पूछताछ जारी है. गफ्फार बहुत कुछ बोलने की स्थिति में नहीं
है लेकिन इतना तो बताता है कि वह दोस्त के विश्वासघात का शिकार हुआ है और कभी उसका
दोस्त उसे बोरे में बंद कर तो कभी घर में कैदकर उसे यातनाएं देता था और एक दिन उसे
मरा जानकर सुपौल के रेलवे ट्रैक के बगल में फेंक कर भाग गया. मामला गम्हरिया थाना
कांड संख्यां 45/2014 में दर्ज हो चुका है और जब्बार की तलाश जारी है ताकि उसे
विश्वासघात, अपहरण और हत्या के प्रयास की सजा दिलाई जा सके.
दोस्ती में घात: अपहरण कर मारकर फेंक दिया रेलवे ट्रैक के पास, पर बचे जिन्दा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 19, 2014
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