कभी इलाके की उम्मीद की किरण बना भूपेंद्र नारायण
मंडल विश्वविद्यालय आज खुद को उबारने के लिए उद्धारक की बाट जोह रहा है, पर इसे
कहीं से कोई उम्मीद की किरण दिखाई नहीं दे रही है.
मंडल
विश्वविद्यालय की स्थापना करीब दो दशक पहले मधेपुरा के अतिसम्मानित समाजवादी नेता
भूपेंद्र नारायण मंडल के नाम पर किया गया. स्थापना का उद्येश्य यह प्रचारित किया
गया कि यहाँ इस इलाके के गरीब और पिछड़े छात्रों को उच्च शिक्षा देकर उनकी जिंदगी
बदलना और मधेपुरा का नाम पूरे भारत में रौशन होना. पर आज तीन दशक बाद न तो यह
विश्वविद्यालय छात्रों की जिंदगी बदलने में कामयाब हो सका है और मधेपुरा का नाम तो
यह विश्वविद्यालय रौशन नहीं कर सका, हाँ, इसकी वजह से
मधेपुरा की बदनामी जरूर हुई
है. छात्रों ने जहाँ शिक्षकों पर ही अंगुली उठानी शुरू कर दी है, वहीँ कम्पीटिशन
के दौर में उन्हें अब यह जरूर लगने लगा है कि यहाँ से डिग्री लेना उनके भविष्य को
शायद ही सुरक्षित कर पायेगा.

विवादों से चोली-दामन का नाता: मंडल विश्वविद्यालय
अपने स्थापना वर्ष 1992 से ही विवादों में घिरा रहा है. विश्वविद्यालय में बहाली
के नाम पर लाखों की लूट हुई तो विकास के नाम पर करोड़ों की. विश्वविद्यालय को अपना
प्रेस रहने के बावजूद बिना टेंडर के ही किसी खास प्रेस को करोड़ों का काम दे देना,
परीक्षा विभाग की राशि में घोटाला, पदाधिकारियों और शिक्षकों के स्थानांतरण के नाम
पर मनमानी तो अब विश्वविद्यालय की शोभा बन चुकी है. हद तो तब हो गई जब माननीय उच्च
न्यायालय, पटना ने यहाँ के कुलपति के खिलाफ ऐसी टिप्पणी कर दी, जो किसी ने सपने
में भी नहीं सोचा होगा. विश्वविद्यालय की बदहाली का अंदाजा इस बाट से भी लगाया जा
सकता है कि यहाँ के कई कुलपति और अधिकारी विश्वविद्यालय सम्बन्धी विवाद के कारण
जेल की हवा भी खा चुके हैं. कभी छात्रों का धरना तो कभी शिक्षकों का धरना, तोड़फोड़
आदि यहाँ मानो रूटीन बन चुका है. अधिकारियों की लापरवाही तो देखिये कि वर्तमान में
मंडल विश्वविद्यालय का वेबसाईट भी सस्पेंड/बंद हो चुका है.
कहा जा सकता है कि बीएनएमयू इस समय आईसीयू में भर्ती है और इसकी साँसें वेंटीलेटर पर चल रही है. ऐसे में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय,
लालू नगर, मधेपुरा को अपनी खोई प्रतिष्ठा वापस लाने ने वर्षों मशक्कत करनी पड़ सकती
है, पर वर्तमान में कहीं से इसकी सम्भावना नजर नहीं आ रही.
मधेपुरा का मंडल विश्वविद्यालय: वेंटिलेटर पर चल रही साँसे
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 14, 2013
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