मधेपुरा में एक ऐसा मंदिर भी है जहाँ सूर्य देवता के
साथ माँ काली की पूजा साथ-साथ की जाती है. हालांकि इस मंदिर में जहाँ काली की पूजा
सालों भर होती है, वहीं सूर्य की पूजा आस्था के महापर्व छठ के दौरान मूर्ति बनाकर
की जाती है.
मधेपुरा
जिला मुख्यालय के मधेपुरा-सहरसा रोड में भिरखी पुल के बगल में अवस्थित इस मंदिर की
स्थापना मधेपुरा के ही स्व० राम प्रताप साह के द्वारा करीब एक दशक पहले की गई थी.
स्व० साह टेंट के व्यवसाय से जुड़े थे और उनकी माँ काली के साथ सूर्य देवता के
प्रति भी अपार श्रद्धा थी. शायद यही वजह रही कि मधेपुरा के इस सबसे बड़े छठ के घाट
पर वे प्रतिवर्ष लाखों रूपये लगाकर मधेपुरा के हजारों लोगों को टेंट, शामियाना आदि
की व्यवस्था अपनी तरफ से करते रहे और यहीं पर इस अद्भुत मंदिर की नींव भी डाली.
उनकी मृत्यु के बाद उनके पोते उत्तम साह ने दादा की इच्छा का सम्मान करते हुए उनकी
इस सेवा की विरासत को बखूबी संभाला. छठ के इस समय में उत्तम घाट के इर्द-गिर्द ही
सफाई करवाते और शामियाना की व्यवस्था करते नजर आते हैं.
काली
मंदिर के व्यवस्थापक गोपी बताते हैं कि इस मंदिर में आकर आपको एक अद्भुत शान्ति का
एहसास होता है और यहाँ माँ काली के साथ सूर्य के विराजमान होने के कारण यह मंदिर
आपकी हर मनोकामना को पूर्ण करने में सक्षम है.
इस वर्ष
सूर्य देवता की मूर्ति बनने का काम शुरू हो गया है जिसे स्थानीय कलाकार अमरदीप जीवंत
रूप प्रदान कर रहे हैं. गोपी बताते हैं कि अभी उनकी मदद विकास, रौशन, गुड्डू,
रिकेश आदि स्थानीय युवक कर रहे हैं.
कुछ
मिलाकर छठ के दिन एक ही मंदिर में एक ही छत के नीचे माँ काली और सूर्य देवता को
एकसाथ देखना मधेपुरा के श्रद्धालुओं के लिए काफी सुखद एहसास होता है.
एक मंदिर ऐसा भी जहाँ साथ होती है सूर्य और काली की पूजा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 05, 2013
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