|पूर्णियां से दिलीप राज| 07 नवंबर 2012|
पूर्णिया पुलिस ने 31 अक्टूबर की रात्रि में शहर के तीन अलग-लग रेड लाईट एरिया में छापेमारी की थी. छापेमारी में तकरीबन सौ से अधिक की संख्या में लड़कियों और
महिलाओं को हिरासत में लिया गया
था. इन लड़कियों और महिलाओ को जिस्म्फरोशी के
धंधे से बाहर निकाल कर समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए काउंसेलिंग का प्रयास किया
गया. लेकिन हिरासत में आयी कुछ महिलाओं ने पुलिस पदाधिकारियों को मुजरे का लाईसेंस दिखाते हुए अपने
व्यवसाय को सही बताया और कहा कि पुलिस इन्हें जिस्म्फरोशी के नाम पर नाहक परेशान
कर रही है. सेक्स वर्करों ने
बताया कि मुजरा खानदानी धंधा है जिसे पूर्वज करते आये है अब सरकार इस पर रोक
लगाना चाहती है, पर उनके पास कोई वैकल्पिक
व्यवस्था नहीं है. कई बार छापामारी हुई और मुख्य धारा से जोड़ने का
प्रयास किया गया, पर भूख से बिलबिलाते बच्चों को रोटी नहीं मिली. लिहाजा फिर से इस धंधा में आना पड़ा. सरकार के नुमयांदों पर चोट करते हुए उन्होंने कहा
कि क्या फायदा जब ये लोग भर पेट भोजन तक की
व्यवस्था नहीं करा सकते.
सेक्स वर्करों ने साफ लहजों में कह दिया कि चाहे कुछ भी करा लो लेकिन हमें अपने घर वापस जाने दो. यहाँ तक कि इन महिलाओं
ने यह भी कहा कि ये महिला हेल्प लाईन की बजाय जेल जाना पसंद करेंगे ताकि जेल से छूटने के
बाद अपने धंधे में फिर से वापस
आ सकें. इस तरह का जवाब सुनकर एसपी किम की बोलती बंद हो गयी.
इस
धंधे में आने
की हर सेक्स वर्करों की अलग-अलग
कहानी है. किसी के पिता नहीं है तो किसी के शौहर ने
छोड़ दिया और कोई खानदानी पेशा समझ कर कर रही है.
फिर भी ये
लोग इस धंधे से तौबा करना चाहते है पर इन्हे न समाज अपनाने को तैयार है
और न ही सरकार के पास इन लोगों के लिए पुनर्वास की कोई
उचित व्यवस्था है. अब
ये जाये तो जाये कहाँ, यह एक
बड़ा सवाल है.
सेक्स वर्करों ने कहा, ‘भेज दो जेल पर नहीं छोड़ेंगे धंधा’
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 07, 2013
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