|वि० सं०|17 नवंबर 2013|
मधेपुरा में प्रशासन द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों
का फ्लॉप शो हो जाना कोई नई बात नहीं है. कल जिला प्रशासन के द्वारा मनाया गया
राष्ट्रीय प्रेस दिवस भी एक तरह से मजाक बनकर रह गया. जिला समाहरणालय के सभागार
में हुए कार्यक्रम में संगोष्ठी का विषय रखा गया था ‘जनहित कार्यों में मीडिया की
भूमिका’. पर भाग लेने वाले तीन
अधिकारियों में एक अधिकारी को ये पता नहीं था कि यह प्रेस दिवस राष्ट्रीय है या
अन्तर्राष्ट्रीय. भाग ले रहे उप विकास आयुक्त मोहन प्रकाश मधुकर ने यह जानने के
लिए कि ये कौन सा प्रेस दिवस है, पहले तो पीछे टंगे बैनर को देखना चाहा, फिर
उन्होंने कार्यक्रम में भाग ले रहे पत्रकारों से ही पूछ डाला कि ये अंतर्राष्ट्रीय
प्रेस दिवस है या राष्ट्रीय ?
दूसरी
तरफ मौके पर डीपीआरओ (सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी) धीरेन्द्र कुमार सिंह ने वर्ल्ड
प्रेस फ्रीडम डे मनाने की तारीख 5 मई बता दी. इस पर जब एक महिला पत्रकार ने टोका
कि यह 3 मई को मनाया जाता है तो डीपीआरओ ने तिथि में सुधार करने की बजाय मजाक
बनाते हुए कहा कि तीन और पांच में क्या फर्क होता है.
देखा
जाय तो प्रशासन द्वारा प्रायोजित कई कार्यक्रम महज खानापूरी होती है. सरकार कई
कार्यक्रमों के लिए फंड मुहैया कराती है और ऐसे में जिला प्रशासन की यह लाचारी हो
जाती है कि किसी भी तरह कार्यक्रम करवा दे. इस बार 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस
दिवस में अधिकारियों को सुनकर तो ऐसा ही लगा कि वे इस कार्यक्रम को लेकर संजीदा
नहीं है वर्ना ‘राष्ट्रीय
और अंतर्राष्ट्रीय’ तथा ‘तीन और पांच’ के विषय में पहले से जानकारी
लेकर वे भाषण देते.
जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की कमी ने इस
कार्यक्रम को और भी फीका कर दिया. जानकारी मिली कि उन्हें नौगछिया में मुख्यमंत्री
के द्वारा विजय घाट के निरीक्षण कार्यक्रम में अचानक जाना पड़ गया, हालाँकि डीएम औए
एसपी की अनुपस्थिति के कारण के बारे में डीपीआरओ ने प्रेस दिवस में नहीं बताया
जिससे कुछ पत्रकारों में कन्फ्यूजन की स्थिति भी उत्पन्न हुई.
आप खुद सुनिए इस वीडियो में अधिकारियों को, यहाँ क्लिक करें.
[News Title: Officers disinterested in National Press Day in Madhepura)
[News Title: Officers disinterested in National Press Day in Madhepura)
अधिकारी ने कहा, 3 और 5 में फर्क नहीं (देखें वीडियो)
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 17, 2013
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