आपको बताते भी संकोच कर रहा हूं
मैं । बिहार की इज्जत जाती है। लेकिन
बिना बताये रह नहीं सकता। कैसे कहूं, प्रांत के दस हजार से अधिक मास्टर साहब कक्षा पांच की परीक्षा भी पास नहीं कर पाये। फिर भी पढ़ा रहे हैं स्कूलों
में । पांचवीं से आगे की कक्षाओं में भी । समझ सकते हैं,कैसा मजाक हो रहा
है बिहार में । कौन-सी शिक्षा दी जा रही है । बच्चे क्या
पढ़ रहे होंगे । सच है,स्कूलों में मिड
डे मील का भोजन लेने ही गरीब बच्चे स्कूल जा रहे हैं ।
दस हजार से अधिक मास्टर साहब कक्षा पांच की परीक्षा में फेल हो गये हैं , खुलासा बिहार सरकार की शिक्षक दक्षता परीक्षा में हुई है । परीक्षा अंग्रेजी, हिन्दी, गणित व सामान्य ज्ञान की ली गई थी । समझ सकते हैं, कक्षा पांच के प्रश्न कैसे रहे होंगे । अब आपका बहाल शिक्षक वह भी नहीं बता रहा, तो साफ है कि लिख लोढ़ा,पढ़ पत्थर है। इसके पास सभी डि़ग्री फर्जी हैं या तो रिकार्डतोड़ कदाचार के बूते पास हैं । दक्षता परीक्षा में 43447 शिक्षक शामिल हुए थे,पास 32833 ही हुए । सरकार अब भी कह रही है कि फेल शिक्षकों को पास होने का दुबारा मौका दिया जायेगा । अपनी राय तो ऐसे शिक्षकों को एक मिनट भी नौकरी में रखने की नहीं है । पहले ही वह अपनी कक्षा में पढ़े छात्रों की बुनियाद को चौपट कर चुके हैं,आगे और ऐसा करने का मौका देना तो गरीबों के बच्चों के प्रति अपराध ही है। बहाली में हुई इस गड़बड़ी पर तत्काल फुल स्टाप लगाने को सरकार को हिटलर बनना पड़े, तो वह भी बनना चाहिए। ऐसे में,फालतू के आंदोलनों को समर्थन हरगिज नहीं किया जाना चाहिए। वैसे मैं जानता हूं कि बिहार सरकार कुछ भी नहीं करेगी, क्योंकि चुनाव नजदीक आ रहा है। सो, पांचवीं फेल मास्टरों से ही गरीब बच्चे आगे भी पढेंगे। तस्वीर एक सरकारी स्कूल की कक्षा की है।
दस हजार से अधिक मास्टर साहब कक्षा पांच की परीक्षा में फेल हो गये हैं , खुलासा बिहार सरकार की शिक्षक दक्षता परीक्षा में हुई है । परीक्षा अंग्रेजी, हिन्दी, गणित व सामान्य ज्ञान की ली गई थी । समझ सकते हैं, कक्षा पांच के प्रश्न कैसे रहे होंगे । अब आपका बहाल शिक्षक वह भी नहीं बता रहा, तो साफ है कि लिख लोढ़ा,पढ़ पत्थर है। इसके पास सभी डि़ग्री फर्जी हैं या तो रिकार्डतोड़ कदाचार के बूते पास हैं । दक्षता परीक्षा में 43447 शिक्षक शामिल हुए थे,पास 32833 ही हुए । सरकार अब भी कह रही है कि फेल शिक्षकों को पास होने का दुबारा मौका दिया जायेगा । अपनी राय तो ऐसे शिक्षकों को एक मिनट भी नौकरी में रखने की नहीं है । पहले ही वह अपनी कक्षा में पढ़े छात्रों की बुनियाद को चौपट कर चुके हैं,आगे और ऐसा करने का मौका देना तो गरीबों के बच्चों के प्रति अपराध ही है। बहाली में हुई इस गड़बड़ी पर तत्काल फुल स्टाप लगाने को सरकार को हिटलर बनना पड़े, तो वह भी बनना चाहिए। ऐसे में,फालतू के आंदोलनों को समर्थन हरगिज नहीं किया जाना चाहिए। वैसे मैं जानता हूं कि बिहार सरकार कुछ भी नहीं करेगी, क्योंकि चुनाव नजदीक आ रहा है। सो, पांचवीं फेल मास्टरों से ही गरीब बच्चे आगे भी पढेंगे। तस्वीर एक सरकारी स्कूल की कक्षा की है।
ज्ञानेश्वर वात्स्यायन, पटना
(लेखक सीनियर जर्नलिस्ट हैं.)
पांचवीं फेल मास्टर साहब !
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 28, 2013
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