|ए.सं.|13 अक्टूबर 2013|
दुर्गापूजा की नवमी को कन्या पूजन की परंपरा है और
कोसी के इलाके में इसका खास महत्त्व है. नवरात्रि करने वाली महिलायें कलश स्थापन
के रोज से ही आठ दिनों तक फलाहार करती हैं और नवमी को कण या पूजन के बाद ही अन्न
ग्रहण करती है.
कन्या
पूजन में आमतौर पर नौ कुंवारी कन्याओं के पाँव को पूजा जाता है जिसके तहत कन्याओं
को पैरों को रंगते हैं. उसके बाद उन्हें भोजन कराया जाता है और फिर उन्हें दक्षिणा
के रूप में खोइंछा दिया जाता है. खोइंछा में सभी कन्याओं को लाल चुनरी में रूमाल,
अरवा चावल, दूब, हल्दी, पान, सुपारी तथा द्रव्य दिए जाते हैं. उसके बाद घर के सभी
सदस्य इन कन्याओं के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेते हैं. माना जाता है कि आज के दिन
इन कन्याओं में माँ दुर्गा का रूप होता है.
इस दिन
श्रद्धालुओं को नियम के अनुसार नौ कन्याएं ढूँढने में परेशानी का सामना भी करना
पड़ता है क्योंकि इनकी मांग पूजा करने वाले हर घर से होती है.
आज के दिन कुंवारी कन्या को मानते हैं दुर्गा का रूप
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 13, 2013
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