आसाराम ने अपनी घिनौनी हरकत से भले ही संत समाज को
शर्मशार किया हो, पर मधेपुरा में जूनियर आसारामों ने भी अपने माँ-बाप के इज्जत की
लुटिया डुबोने में कोई कोर-कसर बाक़ी नहीं रखी है. माफ़ कीजियेगा, कई अभिभावकों को शायद
ये बात मालूम नहीं है कि उनके लाड़ले और लाडलियों के द्वारा शहर में क्या गुल खिल
खिलाये जा रहे हैं. समाज में संस्कार का पतन इस कदर हो चुका है कि जहाँ पहले और
दूसरे जेनरेशन ने माँ-बाप के द्वारा पसंद किए गए जीवनसाथी के साथ ही पहली बार सम्बन्ध बनाया था, वहीं इस चौथे वाई जेनेरेशन ने 13-14 साल की उम्र से ही ‘आदम का सेब’ चखना शुरू कर दिया है. और इसके
लिए मधेपुरा में एक जगह सबसे अधिक चर्चा में आया है, जिसका नाम हमने दिया है-
आसाराम जोन.
मधेपुरा
जिला मुख्यालय में मुख्य मार्ग में सुभाष चौक से नजदीक राजकीय कन्या मध्य विद्यालय
का परिसर और भवन इन दिनों खासकर नाबालिग लैलाओं-मजनूओं के लिए जन्नत का रूप बनकर
आया है. क्षतिग्रस्त बाउंड्रीवाल ने कामलीलाओं के शौकीनों को बेरोकटोक यहाँ आने को
प्रेरित किया है. स्कूल के समय के अतिरिक्त यह जगह लगभग सुनसान सा रहता है और स्कूल
की दो सीढ़ियाँ आशिकों को जन्नतगाह की ओर ले जाती है. सीढ़ी पर छुपने की जगह और पहले
तल्ले पर बने बरामदा का ‘सदुपयोग’ ये प्यार के पंछी करते हैं. यहाँ बताना उचित होगा कि
मधेपुरा के आसाराम जोन में स्कूली छात्र-छात्राओं के साथ ट्यूशन पढ़ने के नाम पर
निकले लड़के-लड़कियों की संख्यां अधिक पाई जाती है जो टीवी और इंटरनेट पर परोसी जा
रही भ्रष्ट आधुनिकता के असर में आ जाते हैं. कई मामलों में तो अभिभावक भी दूसरों
की तुलना में अपनी फैमिली को कुछ ज्यादा ही ‘एडवांस’ देखने की लालच में बच्चों को फूहड़ता की आजादी दे डालते हैं.
पर इन्हें सबसे बड़ी शर्मिंदगी तब झेलनी पड़ती है जब बच्चे सिनेमाई अंदाज में घर से
फरार हो जाते हैं या पुलिस इन जोड़े को आपत्तिजनक स्थिति में पाकर थाने ले जाती है.
तब कई दिन तक शर्म के मारे न तो ये आसाराम निकल पाते हैं और न ही इनकी शिकार लड़की.
इनके अभिभावक इनसे पूछते हैं कि क्या यही संस्कार हमने तुमको दिया था ? सर झुकाकर
ये बच्चे तो चुप रह जाते हैं, पर मधेपुरा टाइम्स का जवाब है, हाँ, ये आपका ही दिया
संस्कार है.
आसाराम
जोन से यहाँ के नाईटगार्ड और पड़ोसी भी परेशान हैं. कहते हैं कई बार तो ढीठ प्रेमी
उन्हें ही डपट भी देते है. पर इधर कई बार आसपास के लोगों ने पुलिस को इसकी खबर कर
दी है और फिर अब चढ रहे हैं पुलिस के हत्थे. शिक्षा विभाग को भी चाहिए कि इस स्कूल
की बाउंड्रीवॉल आदि की मरम्मत करवा कर यहाँ सुरक्षा के आवश्यक उपाय करें नहीं तो
ये शिक्षा का मंदिर स्कूलटाइम के पहले और बाद बनकर रह जायगी आसाराम की कुटिया.
मधेपुरा का ‘आसाराम जोन’
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 06, 2013
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