जिला मुख्यालय के टीपी कॉलेज में आज आयोजित कार्यपालक
सहायक की परीक्षा हंगामेदार रही. हंगामें की वजह इस परीक्षा के आयोजन में प्रशासन
की लापरवाही बताई जाती है. हंगामा कर रहे छात्रों द्वारा बताया गया कि बिहार
प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी, पटना के द्वारा निकाले गए कार्यपालक सहायक के
विज्ञापन में न्यूनतम योग्यता मैट्रिकुलेशन माँगा गया था जिसे देखकर बहुत से योग्य
छात्रों ने ऑनलाइन आवेदन किया था. पर अचानक मधेपुरा समाहरणालय से 11 सितम्बर को एक
आदेश निकाल दिया गया जिसके अनुसार इस परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए सामान्य/
पिछड़ा वर्ग के लिए 60% अंक और अत्यंत पिछड़ा वर्ग/ पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए
55% अंक योग्यता निर्धारित कर दी गई.
सभी
छात्रों की भीड़ जब टीपी कॉलेज पहुंची तो वहां निर्देश मिला कि जिन्हें बाद के
संशोधन के मुताबिक़ मैट्रिक में अंक हैं वही परीक्षा में सम्मिलित हो सकते हैं. इस
पर छात्रों की बड़ी भीड़ यह कहते उत्तेजित हो गई कि फॉर्म भरने के समय सिर्फ मैट्रिक
या समकक्ष ही लिखा था, इसलिए हमें परीक्षा में सम्मिलित होने दिया जाय. पर प्रशासन
अपने फैसले पर शुरू में अडिग रही और कई छात्रों का मुंह लाठी के जोर पर भी बंद
करने का प्रयास की.
पर
हंगामा बढ़ते देख जिला प्रशासन ने वैसे छात्रों को, जो बाद में निर्धारित अहर्ता
में फिट नहीं बैठते थे, उन्हें अलग हॉल में बिठाकर उनकी भी परीक्षा ली. पर इनमें
से कई छात्रों ने आशंका जताई कि ये उन्हें फुसलाने के उद्येश्य से किया गया,
प्रशासन उन्हें अच्छे अंक लाने पर भी सफल घोषित नहीं करेगी.
कार्यपालक सहायक की परीक्षा चढ़ा हंगामे की भेंट
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 15, 2013
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