बेचारा श्रम विभाग, कैसे करे काम, कैसे हो जिले का कल्याण ?

|वि० सं०|27 जुलाई 2013|
मधेपुरा में श्रम विभाग का कोई कार्यालय नहीं है. चौंकिये मत, ये हकीकत है. श्रम विभाग का एक ही सहायक श्रमायुक्त कार्यालय सहरसा में है जिसके अंतर्गत तीन जिले के काम देखे जाते हैं. कई मामलों में मधेपुरा का श्रम विभाग बेचारा है. मसलन, मधेपुरा जिले के तेरह प्रखंडों के लिए मात्र तीन श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी हैं. श्रम अधीक्षक के पास एक भी अपना लिपिक, अनुसेवक या कम्प्यूटर ऑपरेटर नहीं है. इनके पास कोई सरकारी गाड़ी भी नहीं है जिससे दूर-दराज के इलाकों में प्रगति देखी जा सके. यही नहीं, धावा दल के द्वारा बाल मजदूरी कर रहे बच्चे को छुड़ाने के बाद उसे रखने के लिए कोई ट्रांजिट होम, अपना घर या उन्नयन केन्द्र भी नहीं है.
      ये बात अलग है कि श्रम अधीक्षक राजीव रंजन कहते है कि संसाधनों की कमी के बावजूद हम योजनाओं में कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण सफलताएं अर्जित करते जा रहे हैं. वे बताते हैं कि महत्वपूर्ण योजनाएं जैसे बिहार शताब्दी असंगठित कार्यक्षेत्र कामगार एवं शिल्पकार सामाजिक
श्रम अधीक्षक राजीव रंजन
सुरक्षा योजना 2011, बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना 2008 आदि को हम पूरी तरह लागू कराने के लिए प्रयासरत हैं. इन दोनों योजनाओं में मजदूर कि मौत होने पर उसके आश्रितों को एक-एक लाख रूपये देने का प्रावधान है. यहाँ तक कि मजदूर की प्राकृतिक मृत्यु पर भी आश्रितों को तीस हजार रूपये दिए जा सकते हैं. श्रम विभाग की अन्य महत्वपूर्ण योजनाएं हैं बाल श्रम धावा दल द्वारा उन्मूलन योजना, भवन निर्माण कामगार कल्याण योजना 1996, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948 आदि. श्रम अधीक्षक के मुताबिक़ उन्होंने भवन निर्माण क्षेत्र में 398 मजदूरों का पंजीयन भी करवा दिया है ताकि इन्हें योजना का लाभ मिल सके.
      जो भी हो, यदि श्रम विभाग को संसाधन से लैश कर दिए जाएँ तो निश्चित ही इस इलाके की तस्वीर बदलना आसान होगा.
बेचारा श्रम विभाग, कैसे करे काम, कैसे हो जिले का कल्याण ? बेचारा श्रम विभाग, कैसे करे काम, कैसे हो जिले का कल्याण ? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 27, 2013 Rating: 5

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